Union Carbide Waste : राजधानी के यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के पीथमपुर स्थित प्लांट में निष्पादन के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इन निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत पक्ष के तहत कचरे का निष्पादन वैज्ञानिकों की टीम की निगरानी में किया जाएगा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभात यादव ने बताया नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में यूका कचरे के निष्पादन को लेकर लगी याचिका पर बेंच ने फैसला जारी कर दिया है।
वैज्ञानिक करेंगे निगरानी
राज्य सरकार की ओर से बेंच के समक्ष कहा गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम कचरा जलाने की प्रक्रिया के दौरान रासायनिक प्रतिक्रिया की निगरानी करेगी। कचरा निपटान के दौरान किसी भी चुनौती से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया भी बनाई जा रही है। राज्य सरकार ने वैज्ञानिक रिपोर्ट को भी सामने लाने की बात कही है। बेंच ने धार जिले के पीथमपुर में जलाने के दौरान किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने की गारंटी मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायाधिकरण ने मध्य प्रदेश सरकार के उस उत्तर को पर्याप्त माना, जिसमें कहा गया कि कचरा जलाने के प्रभावों पर वैज्ञानिक रिपोर्ट पहले ही उच्च और उच्चतम न्यायालय को दी जा चुकी है। जरूरत पड़ी तो वैज्ञानिक रिपोर्ट का सार मीडिया में प्रकाशित कराया जा सकता है।
इस मामले पर लगी पिटीशन
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से पीजी नाजपांडे और अन्य ने बीते 3 जनवरी को एनजीटी में याचिका दायर की थी। इसमें कचरा जलाने से पहले मुख्य सचिव द्वारा एक शपथपत्र पर यह घोषणा करने की मांग की गई कि इस कचरे के जलाने से भूमि, जल और हवा की गुणवत्ता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। कहा था कि भोपाल, धार और पीथमपुर के प्रशासनिक अधिकारी भी ऐसा ही शपथ-पत्र दें कि उस क्षेत्र को कोई नुकसान नहीं होगा। राज्य सरकार कचरा जलाने की वैज्ञानिक रिपोर्ट सार्वजनिक करे। इस मामले में एनजीटी के न्यायाधीश श्योकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेंबर अफरोज अहमद ने 15 जनवरी को हुई सुनवाई के आधार पर अब फैसला जारी किया है।