पचमढ़ी महाशिवरात्रि : पर्वतीय स्थल पचमढ़ी इस समय पूरी तरह भक्तिमय माहौल में रंगा हुआ है। महाशिवरात्रि पर पचमढ़ी में हर वर्ष लगने वाला महादेव मेला जो की सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के चौरागढ़ पर्वत पर लगता है अपने पूरे शबाब पर है। देश भर से शिव भक्त पचमढ़ी पहुंच रहे हैं और अपने आराध्य के दर्शन कर रहे हैं।
कंधे पर त्रिशूल रखकर मंदिर पहुंच रहे हैं भक्त
पचमढ़ी के प्रसिद्ध चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का काफी महत्व है। जिस वजह हर साल हजारों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए त्रिशूल चढाते हैं।दरअसल, बात उस समय की है जब यहां चौरा बाबा ने तपस्या की थी।जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गये थे। ठीक उसी समय के बाद से चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढाने की परम्परा शुरू हुई थी।
पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और आस्था केंद्र में से एक चौरागढ़ मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि या भगवान शिव के जंमोत्सव को बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।इस दौरान मंदिर में एक विशाल त्रिशूल भी चढ़ाया जाता है।जिसे श्रद्धालु अपने कंधो पर उठाकर मंदिर तक ले जाते है. माना जाता है महाशिवरात्रि मेला में यहां हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। यहां श्रद्धालु पचमढ़ी पहुंचकर अपने साथ 100 ग्राम से लेकर 1000 किलो तक के त्रिशूल लेकर आते हैं और भोले बाबा को भेंट करते हैं।