भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेस के माध्यम से कहा कि जब कमलनाथ की सरकार बनी थी, तब उन पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से दबाव था कि परिवहन और राजस्व विभाग गोविंद सिंह राजपूत को दिया जाए।
इसके बाद हमारी सरकार ने एक बोर्ड का गठन किया था, जो यह फैसला करता था कि कहां किसकी पोस्टिंग होगी। मुझे जानकारी है कि जब शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बने तो सिंधिया ने दबाव डालकर बोर्ड भंग करवा दिया। परिवहन विभाग गोविंद सिंह राजपूत को फिर सौंप दिया गया। इसके बाद एक नई प्रक्रिया शुरू हो गई।
छापे के मामले में उन्होंने पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा को कटर बताते हुए कहा कि वह टोल नाकों पर वसूली करता था। उसके साथ और भी कई लोग थे जो नाकों की नीलामी करके वसूली करते थे। वसूली का पैसा कहां जाता था, इसकी जांच अगर इनकम टैक्स अथॉरिटी करे तो मनी ट्रेल का पता चल जाएगा। मनी ट्रेल का पता लगते ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में गिरफ्तारी होनी चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने आष्टा में सुसाइड करने वाले कारोबारी मनोज परमार का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि एक छोटे से कारोबारी मनोज परमार के यहां तो ईडी पहुंच गई। उसके पास तो कुछ था ही नहीं। यहां करोड़ों का कैश, सोना-चांदी, संपत्ति मिल रही है। क्या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट इस पर संज्ञान नहीं लेगा?