Risk Of Cataract In Eyes: रात में भरपूर नींद नहीं ले पाते और दिन में नींद आती है तो सो जाते हैं लेकिन इसका बुरा असर शरीर में तो पड़ता ही है साथ ही हमारे आँखों पर भी पड़ता है. लम्बे समय तक ऐसा होने पर आँखों में ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) होने का जोखिम बढ़ जाता है. जिसका अगर समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो दृष्टिहीनता का भी खतरा बढ़ जाता है.
किसी को भी हो सकता है यह समस्या:
अगर ग्लूकोमा से दृष्टिहीनता एक बार चले गई तो उसे दोबारा नहीं लाया जा सकता. अगर किसी भी उम्र के लोग को भरपूर नींद न मिली तो यह समस्या हो सकती है. विशेषकर यह समस्या ज्यादा उम्र के पुरुषों में जो धूम्रपान करते हैं में देखने को मिलती है.
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अनिद्रा से कला मोतियाबिंद का खतरा:
2010 से 2021 तक चले एक अध्यन में 40 से 69 आयु वर्ग के लोगों को शामिल कर नींद की आदतों के बारे में जानकारी जमा की गई. जिसमें 8,690 मामले पाए गए. आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि स्वस्थ नींद पैटर्न वाले लोगों की तुलना में खर्राटे और दिन की नींद में ग्लूकोमा(मोतियाबिंद) का जोखिम 11% बढ़ गया। वहीँ अगर बात करें.
वही अगर बात करें कम या ज्यादा नींद लेने वालों की तो यह खतरा 13% तक बढ़ जाता है. जिससे पूरी ना होने के कारण निर्णय लेने की क्षमता स्वभाव याददाश्त और सीखने की क्षमता कमजोर हो जाती है. शोधकर्ताओं के अनुसार 2040 तक दुनिया भर में 11.2 करोड़ लोग ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) से प्रभावित हो सकते हैं.
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आंख सेटिंग मां को जोड़ने वाली तंत्रिका पर पड़ता है बुरा असर:
ग्लूकोमा क्या काला मोतियाबिंद आंख से दिमाग को जोड़ने वाली ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करता है जिससे आज की प्रकाश संवेदनशील कोशिकाओं का क्षरण हो जाता है. अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो लोगों में से आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है.
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