PARLIAMENT ATTACK ; 13 दिसम्बर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे। दिसम्बर का वो दिन जिसे कोई नहीं भूल सकता, साल 2001 में शीतकालीन सत्र के दौरान आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था । उस दिन सुबह भी हर रोज की तरह गहमागहमी थी ।
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शीतकालीन सत्र चल रहा था किसी को भी कोई अंदाजा नहीं था इस परिसर में आतंकी घुसकर हमला कर देंगे। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ये एक ऐसी घटना थी जिससे पूरा देश प्रभावित हुआ था। की आतंकवादी ऐसा नापाक हरकत भी कर सकते है। पूरा देश आश्चर्य था की संसद पर हमला कैसे हो सकता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हुए हमले की आज 21 वीं बरसी हैं। 13 दिसम्बर 2001 को लश्कर- ए- तैयबा और जैश –ए – मोहम्मद औए 5 आतंवादियों ने भारत की संसद पर हमला किया था ।
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शीतकालीन सत्र चल रहा था, जबरदस्त हंगामे के बाद संसद की कारवाई 40 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी थी। संसद स्थगित होते ही विपक्ष की नेता सोनिया गाँधी लोकसभा से निकलकर और अटल बिहारी वाजपेयी अपने सरकारी निवास के लिए निकल चुके थे। बहुत से सांसद भी वहां से जा चुके थे पर गृह मंत्री लाल कृष्णा आडवानी अपने साथी मंत्रियों और और लगभग 200 सांसदों के साथ वहां मौजूद थे। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत शर्मा के कार के काफिले में तैनात सुरक्षाकर्मी सदन से उनके बहार आने का इंतजार कर रहे थे। और ठीक उसी पल एक सफ़ेद एम्बेसडर कार तेज़ रफ़्तार से उनकी ओर आगे बढती है और उपराष्ट्रपति की कार से जा टकराती है। कोई कुछ समझ नहीं पाटा इतने में एक सफ़ेद एम्बेसडर कार के चारो दरवाजे खुलते है और गाड़ी में बैठे पांचो फिदायीन अंधाधुंध गोलियां दागते बहार निकलते है। पांचो AK- 47 से युक्त थे।पहली बार संसद भवन लोकतंत्र की दहलीज पार कर चूका था। संसद भवन में गोलियों की आवाज गूंज रही थी। आतंकियों के पहले हमले का शिकार बने थे वे 4 सुरक्षाकर्मी जो एम्बेसडर कार को रोकने की कोशिश कर रहे थे। हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे।
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