Pakistan Crisis : पाकिस्तान के बुरे आर्थिक और राजनीतिक हालात किसी से छिपे नहीं हैं। चुनाव के बाद राजनीतिक संकट तो टल गया, लेकिन महंगाई और कमजोर आर्थिक हालात अब भी बरकरार हैं।
महंगाई का डबल मार:
पाकिस्तान के आर्थिक हालात का अंदाजा इस बाते से लगाया जा सकता है कि यहां प्याज और ब्याज दोनों ने जनता को रुला रखा है। पड़ोसी मुल्क में प्याज की कीमतें 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, जबकि ब्याज की दरें 22 फीसदी तक हैं।
ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं:
इस बीच पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने लगातार छठी बार अपनी नीति बैठक में प्रमुख उधारी दर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 22 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर बरकरार रखा है।
IMF से मदद की उम्मीद:
पड़ोसी देश में नवनिर्वाचित सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ राहत पैकेज की अगली किश्त हासिल करने के लिए चर्चा कर रही है। आईएमएफ को यह तय करना है कि क्या पाकिस्तान ने 1.1 अरब डॉलर की अगली किश्त पाने के लिए जरूरी शर्तों को पूरा कर लिया है।
पाकिस्तान के लिए चुनौतियां:
- महंगाई को नियंत्रित करना
- आर्थिक विकास को गति देना
- राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना
- IMF से राहत पैकेज प्राप्त करना