भोपाल। नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में गुरुवार लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच में जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष पीठ के समक्ष हुई।
हाईकोर्ट में मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक्ट के संशोधन को चुनौती दी थी
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक्ट के संशोधन को चुनौती दी थी। कोर्ट को बताया गया था कि मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित, दक्षतापूर्ण, एकरूपतापूर्ण, गुणवत्तायुक्त शिक्षा, शोध सुनिश्चित करने के प्रयोजन से की गई थी, जिसे सरकार द्वारा 2024 में एक्ट में संशोधन कर नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता का नियंत्रण क्षेत्रीय विश्वविद्यालय को सौंप दिया गया है। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को कटघरे में रखते हुए तर्क दिए थे कि अन्य क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के पास स्वास्थ्य संबंधी विषयों की विशेषज्ञता नहीं है तथा अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य संबंधी कोर्सों का संचालन हेल्थ यूनिवर्सिटी द्वारा किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निर्देश दिए हैं कि सत्र 2024-25 की संबद्धता प्रक्रिया मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा की संपादित की जाएगी ।
हज़ारों नर्सिंग छात्रों की परीक्षा परिणाम होंगे जारी
सत्र 2019-20 एवं 2020-21 के विभिन्न नर्सिंग पाठ्यक्रमों की वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षाएं हाईकोर्ट के आदेश पर मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा ली गई थी, परीक्षाफल हाईकोर्ट की अनुमति नहीं मिलने से जारी नहीं हो सके थे। गुरुवार को हाईकोर्ट ने उन परीक्षाओं के परिणाम जारी करने की अनुमति मेडिकल सानिस यूनिवर्सिटी को दे दी है, जिसके चलते हज़ारों छात्र जो परिणामों के इंतजार में थे उन्हें राहत मिल सकेगी।
सीबीआई जांच में डेफिसिएंट पाए गए कॉलेजों की रिपोर्ट होगी सार्वजनिक
मध्य प्रदेश के लगभग 700 नर्सिंग कॉलेजों की हाईकोर्ट द्वारा कराई गई जांच की रिपोर्ट सीबीआइ ने सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट में पेश की थी, जिसकी एक प्रति हाईकोर्ट द्वारा नर्सिंग काउंसिल को तथा याचिकाकर्ता को सौंपी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि कमी पाए गए अर्थात डेफिसिएंट कॉलेजों की सूची और उनमें पाई गई कमियों को नर्सिंग काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की पहली जांच में सुटेबल पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच भी हाईकोर्ट ने कराई थी, जिसमें अनेकों कॉलेज सुटेबल की सूची से बाहर हो गए हैं, साथ ही दूसरे राउंड की सीबीआई जांच में जीएमएम नर्सिंग कॉलेजों की जांच के आदेश दिए थे जिसकी रिपोर्ट में भी भारी संख्या में कॉलेज अपात्र हो गए हैं।