New research ecofriendly: वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक ढूंढ़ निकाली है जिसमें प्लास्टिक कचरे को बायोचार में बदला जा सकेगा. वैज्ञानिकों का मानना है की इस तकनीक से मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
New research ecofriendly: आने वाले समय में प्लास्टिक कचरा प्रकृति के लिए खतरा नहीं बना रहेगा अमेरिका की कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक को उपयोगी बायोचार में बदलने की तकनीक विकसित की है जिसे मिट्टी के साथ मिलाकर फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकेगा. आइये जानते हैं क्या है बायोचार...
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क्या होता है बायोचार:
New research ecofriendly: बायो चार जानी जैविक चारकोल. यह एक बेहद सस्ती सरल और वैज्ञानिक तकनीक है जिससे किसी भी तरह की मिट्टी के उपजाऊ पन को लंबे समय के लिए बढ़ाया जा सकता है. प्लास्टिक के दो सामान्य रूप पैकेजिंग फोम और पानी की बोतल बनाने के लिए औपयोग की जानें वाली प्लास्टिक को नई प्रक्रिया से चारकोल में बदलकर इसकी राख को मिट्टी में मिलाने से इसकी की जल धारण क्षमता में सुधार किया जा सकेगा और खेत को हवादार बनाया जा सकेगा. यह प्रयास मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने में मदद कर सकता है. वैसे तो इस तकनीक के अभी तक किये गए सारे परिक्षण सफल माने गए हैं लेकिन अभी इसके कई परिक्षण करने बाकि हैं ताकि इसकी सटीकता को और प्रभावी बनाया जा सके.
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कैसे काम करेगी यह तकनीक:
New research ecofriendly: यह दो सामान्य प्रकार के प्लास्टिक को मकई के बचे डंथल और पत्ते के साथ मिलाने से शुरू होती है. इसके बाद मिश्रण को 'हाइड्रोथर्मल करबोनाइजेशन' नाम की प्रक्रिया के दौरान गर्म पानी में डाला जाता हाइ इस तकनीक से बनने वाला चरकोल बहुत झरझरा होता है. यह संभावित रूप से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने या ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
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