MP Nursing Scam : मध्यप्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले का मामला प्रदेश से लेकर देश की सुर्खियों में बन गया है। मामले में रोजाना नए नए राज खुलते जा रहे है। मामले में भ्रष्ट अधिकारी तो ठीक, सीबीआई के अफसरों पर सवालिया निशान खड़े होने लगे है। मामले को लेकर प्रदेश की मोहन सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावार है। मामला अब पीएम मोदी तक पहुंच गया है। राजगढ़ से कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है। पत्र में सिंह ने शिवराज सिंह और विश्वास सारंग पर गंभीर आरोप लगाए है।
दिग्विजय सिंह ने पत्र में कहा है कि प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग महाघोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग जांच से बचने की कोशिश में है। घोटाले में सीबीआई के अधिकारी भी शामिल है। सभी ने मिलकर करोड़ों रूपये की रिश्वत खाई है।
सिंह का मोदी को पत्र
दिग्विजय सिंह ने मामले को लेकर पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि प्रदेश में बीते सालों से गुंज रहे व्यापम भर्ती घोटाले की आग अभी बूझी नहीं की नर्सिंग कॉलेज घोटाले ने प्रदेश को शर्मसार कर दिया। इस घोटाले में राज्य सरकार के जिम्मेदार राजनेता और नौकरशाह पूरी तरह से लिप्त है। मामले में CBI के अफसरों ने भी करोड़ों रूपये की रिश्वत लेकर न्यायालय के आदेश पर की गई जांच को भी संदिग्ध बना दिया है।
शिव-सारंग कर रहे बचने की कोशिश
दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा है कि मामले में पिछली सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके करीबी मंत्री विश्वास सारंग नर्सिंग घोटाले से बचने की कोशिश में है। उनकी नाक के नीचे अफसरों ने करोड़ो रूपये का लेनदेन कर सैकड़ो की तादाद में नर्सिंग कॉलेजों को खोलने की अनुमति दी। तत्कालीन मंत्री की शह पर अफसरों ने प्रदेश में नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता अधिनियम 2018 की धज्जियां उड़ाते हुए 300 से अधिक नर्सिंग कॉलेज खुलवा दिये।
हजारें छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह
शिक्षा माफिया और नौकरशाहों के गठजोड़ के चलते आज हजारों छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। मंत्री स्तर से संरक्षण प्राप्त विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव से लेकर आयुक्त/संचालक तकनीकी शिक्षा ने नर्सिंग डिग्री और डिप्लोमा जैसे कोर्स की विश्वसनीयता संदिग्ध बना दी। मध्य प्रदेश सहित बाहर के राज्यों के नौजवानों के एडमीशन कागजी खानापूर्ति के लिये खुली छूट दे दी। बिना नर्सिंग कॉलेज में पढ़े डिग्री/डिप्लोमा प्राप्त ये हजारों छात्र प्रदेश के करोड़ों लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर जनता से द्रोह किया गया है।
भ्रष्टाचार में डूबे अफसर
दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि भ्रष्टाचार में गले-गले तक डूबे राज्य सरकार के अफसरों और फर्जी कॉलेजों को बचाने के लिये कॉलेज संचालकों ने सी.बी.आई. अफसरों को ही रिश्वत के जाल में समेट दिया। एक-एक फर्जी कॉलेज को ‘‘सही संचालन की टीप’’ के एवज में केन्द्रीय जांच एजेंसी सी.बी.आई. के अफसरों ने लाखों रूपये एक-एक कॉलेज संचालकों से लिये और करोड़ो रूपये की वसूली की। दिल्ली सी.बी.आई. की जांच में एडीशनल एस.पी. दीपक पुरोहित को बचाया जा रहा है। जबकि इस अधिकारी ने भी अनेक कॉलेजों की जांच कर क्लीनचिट दी थी।
‘‘न खाऊँगा, न खाने दूँगा’’
भ्रष्ट इंस्पेक्टर इसी के अधीन रैकेट चला रहे थे। आपका नारा है कि ‘‘न खाऊँगा, न खाने दूँगा’’ की बात को सी.बी.आई. के अफसरों ने हवा में उड़ा कर नर्सिंग कॉलेजों का भंडाफोड़ करने की जगह दलालों के माध्यम से करोड़ों रूपये बटोर चुके है। वो तो भला हो दिल्ली में बैठे सी.बी.आई. अफसरों का जिन्होने भोपाल में कार्यरत सी.बी.आई. के अफसरों को पर्याप्त साक्ष्य एवं दस्तावेज एकत्र कर रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है।
चुप्पी साधे बैठी सरकार
दिल्ली मुख्यालय से दोषी अफसरों को सेवा से बर्खास्त कर एफ.आई.आर. दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है। डायरेक्टर सी.बी.आई. का यह कदम स्वागत योग्य है। लेकिन करोड़ों के इस भ्रष्टाचार में चुप्पी साधे बैठी मध्यप्रदेश सरकार ने अपने यहां के दोषी कर्मचारियों को सेवा से बेदखल नही किया है। नर्सिंग घोटाले की जांच के साथ-साथ ‘‘व्यापम घोटाले’’ के प्रकरणों में आरोपियों को क्लीनचिट दी गई थी, ऐसे संदिग्ध प्रकरणों की पुनः जांच कराने का निर्णय लिया जाये। व्यापम के प्रकरणों के अनेक मामले संदिग्ध अधिकारियों ने बिना पूर्व जांच किये क्लोजर रिपोर्ट लगाई थी।
दिग्विजय सिंह की मांग
दिग्विजय सिंह ने मांग करते हुए आगे कहा कि दिल्ली मुख्यालय में पदस्थ ईमानदार पुलिस अफसरों की एक ‘‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम’’ गठित कर माननीय उच्च न्यायालय के माननीय सिटींग जज की देखरेख में समय-सीमा तय करते हुए मध्य प्रदेश में संचालित समस्त मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेजों की जांच कराई जाये। क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार स्वतः फंसने के डर से मामले की गहराई से जांच कराना नही चाह रही है। केन्द्रीय स्तर से सी.बी.आई. जांच कराने पर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारी, शिक्षा माफिया और सी.बी.आई. के स्थानीय अफसरों पर शिकंजा कस सकेगा तथा ऐसे दोषी अफसर जेल भी जायेंगे और सेवा से भी बर्खास्त होंगे।