भोपाल। राज्य सरकार ने मंगलवार को मप्र का आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया है। आर्थिक सर्वेक्षण में मूलभूत तथ्यों को सामने रखते हुए योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग ने विभिन्न्ा मुद्दों पर सरकार की आर्थिक स्िथति का खाका प्रस्तुत किया है। फसल उत्पादन का वर्गीकृत विश्लेषण में पाया गया कि मप्र में अनाज के उत्पादन में 1.91 फीसदी की मामूली कमी दर्ज की गई है। जबकि दालों में 42.62 की बढ़ोतरी हुई है। बागवानी क्षेत्र में मसालों का उत्पादन करीब एक लाख मिट्रिक टन बढ़ा है। दूध का उत्पादन भी 201.22 लाख टन तक पहुंच गया है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में मप्र में प्रमुख फसलों के उत्पादन में 0.20% की वृद्धि दर्ज की गई है। दलहन के उत्पादन में 42.62% की वृद्धि हुई, और तिलहन में 7.32% की वृद्धि दर्ज की गई। सब्जियों का उत्पादन 235.41 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 242.62 लाख मीट्रिक टन हो गया। फलों का उत्पादन 95.10 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 95.54 लाख मीट्रिक टन हो गया। तिलहन फसलों जैसे सोयाबीन और सरसों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। तिलहन का क्षेत्र 4.01 फीसदी, सरसों को 10.21 फीसदी और सोयाबीन की खेती में 1.76 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। तिलहन में बढ़ोतरी को देखा जाए तो पिछले वित्त्ाीय वर्ष के मुकाबले सोयाबीन के उत्पादन में कमी दर्ज की गई है।
राजस्व आधिक्य 413 करोड़ रुपए का अनुमान
राज्य में साक्ष्य परक एवं डेटा आधारित नीति निर्माण एवं विश्लेषण को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में यह प्रयास स्पष्ट दिखता है। इस बार का आर्थिक सर्वेक्षण प्रदेश की निवेश, निर्यात, उद्योग, विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में हुई प्रगति को दर्शाता है। वर्ष 2023-24 में राजस्व आधिक्य राशि रुपए 413 करोड़ रहने का अनुमान है, इसे कोरोना काल की राजस्व घाटे की स्थिति से उबरने एवं मजबूत वित्तीय स्थिति का संकेत हैं। वर्ष 2019-20 से वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य करों का हिस्सा जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में 6.16% से बढ़कर 6.20 प्रतिशत हो गया है इस अवधि के दौरान राज्य के अपने कर संग्रह में 12.79% की वार्षिक दर से बढ़ोतरी हुई।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास एवं सभी वर्गों के उत्थान के लिए है
मप्र में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ने के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास, कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन मंे भी बढ़ोतरी हुई है। जनजातीय एवं अनुसूचित जाति समाज के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण के कार्यक्रम, महिलाओं को अधिकार देने, उद्योग एवं व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नियमों को सरल बनाकर उनका पालन आसान करने, कृषि में तकनीक का समावेश तथा खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से कृषकों की आय बढ़ाने के उपाय करने जैसे कई प्रयास सुशासन के अप्रतिम उदाहरण बनकर सामने आए हैं।
प्राथमिक क्षेत्रों का योगदान 45.53 फीसदी रहा
प्रचलित भावों पर वर्ष 2023-24 में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 45.53% रहा जो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 18.47% रहा है। तृतीयक क्षेत्र का प्रचलित भावों पर वर्ष 2023-24 में योगदान 36% रहा है। स्थिर मूल्यों पर यह वर्ष 2023-24 में 39.64% हुआ है, जो सेवा क्षेत्र में मजबूती को दर्शाता है। सेवा क्षेत्र में निरंतर निवेश और सुधार से तृतीयक क्षेत्र की ओर से राज्य की आर्थिक प्रगति में अधिक योगदान की संभावना है।
जन धन योजना में अब तक 4.29 करोड़ से अधिक लाभार्थी
प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से प्रदेश में अब तक 4.29 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को बैंकिंग की सुविधाओं से लाभान्वित किया है। सरकार ने बैंकिंग सेवाओं को सुलभ एवं कृषि, उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों हेतु ऋण विस्तार के प्रयास किए जा रहे, फलस्वरूप वर्ष 2005-06 से वर्ष 2023-24 तक कृषि ऋण में 16.4% सीएजीआर की वृद्धि एवं एमएसएमई क्षेत्र में 33.85% सीएजीआर की वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना
शहरी में प्रदेश में 9.50 लाख आवास स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से 7.50 लाख आवास पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा 3.56 करोड़ लाभार्थियों को डिजिटल आयुष्मान कार्ड जारी करने वाला देश का पहला राज्य है। पीएम स्वनिधि योजना के प्रथम चरण में 8.30 लाख शहरी पथ विक्रेताओं को 827.85 करोड़ रूपए का ऋण वितरित कर राज्य ने देश में पहला स्थान पर है। वर्ष 2004 से 2024 के बीच में पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन में 270.47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। देश के कुल सौर उर्जा उत्पादन में मध्य प्रदेश 8.2 प्रतिशत का योगदान देता है और इस दृष्टि से देश में चौथे स्थान पर है।
जयवर्धन ने नर्सिंग घोटाले के मुद्दे को सदन में उठाया
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने सदन में ध्यानाकर्षण के जरिए नर्सिंग कॉलेजों के फर्जी मान्यता पर तत्कालीन मंत्री से इस्तीफे तक की मांग की। उन्होंने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री के एक पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि मंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि 2019-20, 202021, 2021-22 में जिन कॉलेजों को मान्यता नहीं दी गई है उनको संबद्धता देना चाहिए। उसके आठ दिन बाद ही कुलपति और रजिस्ट्रार ने हिमालय नर्सिंग कॉलेज को संबद्धता दे दी। हिमालय नर्सिंग कॉलेज के संचालक और प्राचार्य नर्सिंग कॉलेज घोटाले के मामले में जेल में है, इससे स्पष्ट है कि कॉलेज फर्जी था, उसके बावजूद मंत्री के दबाव में संबंद्धता दी गई। कांग्रेस सदस्य सिंह ने फर्जी रजिस्टरों की नियुक्तियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि तत्कालीन मंत्री के कार्यकाल में फर्जी तरीके से नर्सिंग रजिस्ट्रार की नियुक्ति की गई, जिसमें चंद्रकला दिवगैया और सुनीता शिजू को बर्खास्त कर दिया गया। तत्कालीन प्रशासन डॉ. योगेश शर्मा और तत्कालीन रजिस्टर स्टेला पीटर पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। फर्जी नर्सिंग कॉलेज को संबंद्धता देने में विश्वविद्यालय के कुलपति अशोक खंडेलवाल और रजिस्ट्रार पुष्पराज बघेल ने मुख्य भूमिका निभाई थी, लेकिन अभी तक उन दोनों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इससे सरकार की मंशा स्पष्ट होती है कि सरकार नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा के दोषियों को बचाना चाहती है। इस मामले में कार्रवाई होना चाहिए।
2016 में 387 दैवेभो व 32 संविदा कर्मियों का किया नियमितीकरण, प्रकि्रया लगातार चल रही: मंत्री गौर
विधानसभा में मंगलवार को दैनिक वेतन भोगियों (दैवेभो) व संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा देवेंद्र सखवार ने उठाया। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर दैनिक वेतनभोगी व संविदा कर्मचारी विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं, पर सरकार के पास स्पष्ट नीति नहीं होने की वजह से उनका नियमितीकरण नहीं हो पा रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं, जाे रिटायरमेंट के नजदीक हैं। वे कई कई वर्षो से काम कर रहे हैं। सरकार उन पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने पूछा कि दैेवेभो के नियमितीकरण की क्या योजना है, अब तक में कितने कर्मचारी नियमित किए गए। इसके जवाब में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर ने कहा कि 16 मई 2007 को नियमितीकरण करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि नीति निर्धारण के साथ भर्ती नियमों के साथ दैवेभो के नियमितीकरण का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद 2023 में स्पष्ट नीति बनी। उन्होंने कहा कि लगातार नियमितीकरण किया जा रहा है। उन्होंने सदन को बताया कि 2016 में 387 दैवेभो व 32 संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया गया। इसकी प्रकि्रया लगातार चल रही है। प्रकि्रया पूरी होने के बाद नियमितीकरण कर दिया जाता है। ऐसे में यह आरोप गलत है कि नियमितीकरण नहीं किया जा रहा है।