MP Politics : मध्यप्रदेश की श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से वनमंत्री रामनिवास रावत की हार कई समीकरणों को उलटा-पुलटा कर रही है। रावत लोकसभा चुनाव के पूर्व भाजपा में आए थे और उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थक माना जाता है। सिंधिया ही उन्हें भाजपा में लाए और मंत्री भी बनवाया। अब उनकी हार और मंत्रीपद से इस्तीफे के बाद प्रदेश को एक साल के भीतर ही तीसरा वनमंत्री मिलेगा।
रावत को भाजपा में लाए सिंधिया
रावत की हार को करारी कहा जा सकता है। वे जब कांग्रेस में थे तब 6 बार जीते और कांग्रेस में जब चार कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए तो वे चंबल क्षेत्र से इस पद पर मनोनीत किए गए थे। रावत को विधानसभा चुनाव के पूर्व ही सिंधिया ने भाजपा में लाने के प्रयास किए थे, लेकिन वे नहीं आए। लोकसभा चुनाव के पूर्व सशर्त यानी मंत्री बनाने की शर्त पर भाजपा में शामिल हुए थे।
इमरती जैसे रावत के हाल?
बताते हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रावत को मंत्री बनाने के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि वे चाहते थे कि रावत विधायक पद से इस्तीफा देकर चुनाव जीतकर आएं तभी मंत्री बनाया जाए, लेकिन सिंधिया के जोर देने पर उन्हें मंत्री बनाया गया। वन महकमा दिया गया लेकिन बताते हैं कि रावत ने मंत्री पद का दायित्व बेहतर ढंग से नहीं निभाया। वे अक्सर मंत्रालय नहीं पहुंचते और न बैठकें बुलाते। एक तरह से ये विभाग ज्यादा कामकाज वाला नहीं रहा। बहरहाल, चुनाव में करारी हार के बाद अब वे इस्तीफा देंगे। अब रावत के भाजपा में भविष्य को लेकर भी शंका-कुशंकाएं जताई जाने लगी हैं। उनकी स्थिति ठीक वैसी ही हो गई है जैसी ग्वालियर में इमरती देवी की हुई। चुनाव में हारने के बाद सिंधिया समर्थक सिमटकर रह गए हैं।
सिंधिया ने नहीं किया प्रचार
रावत की हार ने जहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व पर अंगुली उठा दी है, वहीं सिंधिया का प्रभाव भी कम किया है। खास बात ये है कि पूरे विधानसभा उपचुनाव के दौरान सिंधिया विजयपुर में प्रचार के लिए नहीं गए, जबकि वे वहीं (गुना-शिवपुरी) से सांसद हैं। यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पहला उपचुनाव था, जिसमें रावत की हार ने विपरित माहौल तो बनाया है, क्योंकि बुधनी की जीत को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जीत बताया जा रहा है।
किसे मिलेगा मलाईदार महकमा?
एक साल के अंदर तीसरे वनमंत्री की तलाश मुख्यमंत्री मोहन यादव के विदेश यात्रा से लौटने के बाद शुरु होगी। कई विधायकों की नजरें इस पद पर गड़ गई हैं, क्योंकि ये मलाईदार महकमा है। ये भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल में फेरबदल करें और कुछ मंत्रियों को हटाएं, कुछ के विभाग बदलें और कुछ नए बनाएं।