राजा शर्मा// डोंगरगढ़: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन देशभर के सभी मंदिरों में और पंडालों में दर्शन के लिए भक्तों का भारी भीड़ उमड़ रही है। इन नव दिनों में मां दुर्गा के नव रुपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसी बीच आज हम छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के धर्म नगरी डोंगरगढ़ के लगभग 1000 फिट ऊंचा पहाड़ों में विराजमान मां बम्लेश्वरी माता के इतिहास के बारे में इतिहास और मंदिर के महत्व के बारे में जानेंगे इतिहास कारो वा मन्दिर के पुजारियों का कहना हैं की 2200वर्ष पुराना हैं मन्दिर का इतिहास।
मां बम्लेश्वरी माता का इतिहास :
डोंगरगढ़ शहर पहले कामावती नगरी के नाम से जाना जाता था। महाराज काम सेन यहां के शासक थे, महाराज कामसेन मां बगला मुखी के बहुत बड़े उपासक थे और अपने तपोबल से मां बगलामुखी को प्रसन्न कर पहाड़ों में विराज मान होने की विनती की और मां बगलामुखी मां बम्लेश्वरी के स्वरूप में विराज मान हुई । अत्यधिक जंगल एवम् दुर्गम रास्ता होने के कारण भक्तों का माता के दर्शन करने पहुंचना अति दुर्लभ था। घना जंगल एवम् दुर्गम रास्ता साथ ही जंगली जानवरों का भय होने के कारण भक्त दर्शन लाभ नही पा रहे थे।
राजा कामसेन प्रजा के कल्याण करने पुनः माता से विनती करते हुए पहाड़ों के नीचे विराजमान होने के लिए प्रार्थना किया। मां बम्लेश्वरी राजा कामसेन की भक्ति और प्रजा के प्रति चिन्ता को देख प्रसन्न हो पहाड़ों से नीचे छोटी मां बम्लेश्वरी एवम् मंझली मां रणचंडी के स्वरूप में जागृत अवस्था में विराजमान हुई। दोनों माताएं भक्तों के कल्याण करने जागृत अवस्था में विराज मान हैं।
वही दूसरी ओर कुछ इतिहासकारों की माने तो मां बम्लेश्वरी का इतिहास उज्जैन से भी जुड़ा हुआ हैं । राजा विक्रमादित्य भी महाराज कामसेन से युद्ध कर कामावती नगरी में अपना जीत का परचम लहराया था । राजा विक्रमादित्य भी मां बगलामुखी के बड़े उपासक रहे हैं।
मां बम्लेश्वरी पहुंच मार्ग :-
दर्शनार्थियो के लिए माता के दर्शन के लिए आसान रेल मार्ग हैं। रेलवे स्टेशन से आधा किलो मीटर पर हैं माता का दरबार रेलवे स्टेशन से आटो रिक्शा से या पैदल चलकर माता के दरबार पहुंचा जा सकता है रास्ता बहुत सुगम और आसान है। अपने स्वयं के वाहन से आने वाले दर्शनार्थियों को के लिए भी बहुत सुगम रास्ता है डोंगरगढ़ पहुंचने का मार्ग नेशनल हाईवे से जुड़ा हुआ है।
मां बम्लेश्वरी की महत्ता :-
मां के दरबार में सच्चे मन से जो भी मांगा है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं। यही कारण हैं की देश विदेश से भी लोग डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी देवी के दर्शन को आते हैं। लोगो का कहना हैं की जिन्हे बच्चें नही होते या जिनके जीवन में कोई भी परेशानी आती हैं तो लोग पूरे सच्चे मन से माता के दरबार में मन्नते मांगते हैं वो पूरी होती हैं ।
अलग अलग लोग अलग अलग आस्था हैं कुछ लोग मन्नते पूरी होने पर अपने निवास स्थान से पैदल चल कर मां के दर्शन को आते हैं तो कई लोग घुटनों के बल से ऊपर पहाड़ों में विराजमान मां के दर्शन हेतु जाते हैं । तो कई लोग जस गीत गाते बाजे गाजे के साथ आते हैं।
मां के दरबार में ज्योति कलश प्रज्वलित:
लोगों का मानना हैं की सच्चे मन से मां से मांगो तो सारी इच्छाएं पूरी होती है। कुछ लोग अपनी मनोकामना पूरी होने पर ज्योति कलश की स्थापना भी करवाते हैं। धर्म नगरी डोंगरगढ़ में प्रत्येक वर्ष चैत्र और क्वार नवरात्र का पर्व मनाया जाता हैं । दोनों नवरात्र में मां के दरबार में ज्योति कलश प्रज्वलित किया जाता है।पूरे नवरात्रि पर्व पर मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति के द्वारा दर्शनर्थियों को माता के दर्शन एवम् प्रज्वलित ज्योति कलश के दर्शन करने सुरक्षित उड़नखटोला की व्यवस्था , दर्शनार्थियों के लिए एयर कंडीशन युक्त विश्राम गृह की व्यवस्था एवम् सीढ़ियों से दर्शन करने वाले दर्शनार्थियों के लिए जगह जगह पर ठंडे पानी एवम् आराम करने के लिए बहुत बड़ा हॉल व्यवस्था की गई है।
पूरे मन्दिर परिसर में ऊपर पहाड़ से लेकर नीचे तक सुरक्षा की दृष्टि से सी सी टी वी कैमरा लगा रखे हैं। नवरात्र के दौरान दर्शनर्थियो की मदद करने ट्रस्ट मंडल के कर्मचारी सेवा देते हैं। नवरात्र पर्व में प्रशासन पूरे विभागों के साथ अपनी सेवा प्रदान करते हैं। नवरात्री पर्व में बाहर से आए दर्शनार्थियो के मनोरंजन एवम् खाने पीने के लिए पर डोंगरगढ़ में प्रशासन द्वारा मेला का भी आयोजन किया जाता हैं । जिसमें बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला, कपड़े, खाने पीने की सामग्री , मिनाबाजार इत्यादि होता हैं।
प्रशासन 24 घण्टे रहते हैं सेवा देने तैयार:
मां बमलेश्वरी ट्रस्ट समिति के कोषाध्यक्ष चन्द्र प्रकाश मिश्रा ने मीडिया को बताया कि श्रद्धालुओं द्वारा इस वर्ष नवरात्रि पर्व में 7000 ज्योति कलश ऊपर पहाड़ों में विराजमान मां बमलेश्वरी के दरबार में एवं 900 ज्योति कलश नीचे मां बमलेश्वरी माता के दरबार में 61 ज्योति कलश शीतला माता के दरबार में प्रज्वलित होगी।
नवरात्रि में नौ रूपों की वैदिक कर्मो एवम् मंत्रों से होती है पूजा:
नवरात्रि पर्व में माता जी के नौ रूपों की पूजा अर्चना पंडितो द्वारा वैदिक कर्मो एवम् मंत्रों से किया जाता हैं। विशेष पूजा कालरात्रि सप्तमी को किया जाता हैं। ऊपर पहाड़ों में प्रज्वलित ज्योति कलश में एक माई ज्योत को ऊपर कुण्ड में सुबह 4 बजे प्रज्वलित किया जाता हैं बाकि के ज्योति कलश में कुण्ड के पानी का छीटा देकर शान्त किया जाता हैं। नीचे मां बमलेश्वरी मंदिर में प्रज्वलित सभी ज्योति कलश को माताओं बहनों द्वारा शोभा यात्रा के रूप में निकालते हुए माता शीतला मन्दिर पहुंचते हैं और दोनों मंदिरों के माई ज्योत का आपस में मिलन होता हैं उसके उपरान्त प्राचीन महावीर तालाब में सभी ज्योति कलश को विसर्जित किया जाता हैं।
इस नवरात्रि में क्या कुछ है खास :
इस नवरात्र एकम को ऊपर पहाड़ों में विराजमान मां बमलेश्वरी देवी मन्दिर के दरवाजों में 61 किलो चांदी का परत चढ़ाया गया है। जिसकी लागत मूल्य अभी उपलब्ध ना होने के कारण बता नही सकते। पूरे नवरात्र में रोपवे सुबह 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक चलाया जाएगा। बीच में समय को देखते हुए जब दर्शनार्थी की संख्या कम होगी 1 घण्टे मेंटेन्स के लिए बन्द रखा जाएगा। उत्तम भोजन के लिए कैंटीन की व्यवस्था रोपवे मे भीड़ की दृष्टि से एयर कंडीशनर वेटिंग हॉल की व्यवस्था ट्रस्ट द्वारा की गई है।
प्रसाद को लेकर ट्रस्ट समिति ने कहा :
मां बमलेश्वरी ट्रस्ट समिति के कोषाध्यक्ष ने इलायची दाना को लेकर कर कहा की माता जी का भोग समिति के स्वयं के कर्मचारियों द्वारा बनाया जाता हैं । बाहर से जो दर्शनार्थी प्रसाद के रूप में नारियल इलायची दाना लाते हैं उसमे से सिर्फ़ नारियल को ही चढ़ाया जाता है इसके अतिरिक्त प्रसाद को दर्शनार्थियों को ही वापस या डिस्पोज कर दिया जाता हैं। प्रसाद को लेकर जो भी भ्रामक जानकारी लोगों के द्वारा फैलाया जा रहा है हमने प्रशासन से उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की मांग किया है।