रिपोर्टर - इमरान खान
नारायणपुर। Naxalite Love Story: बंदूकों से निकली गोली की गूंज और बारूदी सुरंगों से फटती धरती के बीच लहुलुहान बस्तर के जंगलों में प्रेमकथा अक्सर गूंजता नहीं दबकर रह जाता है। खूनी संघर्षों के बीच अगर जंगलों में कहीं मोहब्बत का रंग चढ़ता हैं तो वह प्यार का अटूट रिश्ता बन जाता हैं। नक्सली बंदिशों के बीच छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगल से निकली अजब प्यार की गजब कहानी पहली बार शहर की दहलीज तक पहुंची हैं।
हम बात कर रहे हैं, हार्डकोर नक्सली जोड़ा रंजीत और काजल की अटूट प्रेम कहानी की जिन्होंने 15 जनवरी को नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार के सामने अपने प्यार को परवान चढ़ाने के लिए लाल आतंक के गलियारों की लक्ष्मण रेखा को पार कर समाज की मुख्यधारा में लौट आए जिसके बाद से नक्सल दंपति की दुनियां बदल गई हैं।
छत्तीसगढ़ के दक्षिणी छोर पर फैले बस्तर का इलाका एक रणभूमि में तब्दील हो गया है। यहां माओवादियों की जनमुक्ति छापामार सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच ज़ोरदार संघर्ष चल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादी छापामार दस्ते से अलग होकर मुख्य धारा में लौटने के इच्छुक नौजवानों के लिए आत्मसमर्पण की नीति बनाई हैं जिसमें उनके पद और हथियार के हिसाब से उनके पुनर्वास की व्यवस्था की गई है जिसे देखते हुए नक्सल जोड़े ने आत्म समर्पण किया हैं।
फोर्स की गोली से बचने पेड़ में गुजारा 24 घंटे
रंजीत ने बताया कि 4 अक्टूबर 2024 अबूझमाड़ के जंगल में पुलिस के जवानों से सामना हो गया। इस दौरान आंखों के सामने अपने कई साथियों को पुलिस के जवानों की गोली से छलनी होते देख मन में मौत का भय बैठ गया। फोर्स के जवानों के पास आने से पहले वह सियाड़ी के पेड़ में चढ़कर मौत को चौबीस घंटे तक करीब से देखता रहा। उसने बताया कि इनकाउंटर के दौरान दोपहर तीन बजे के करीब पेड़ में चढ़कर पांच अक्टूबर की शाम तक वे पेड़ की टहनियों में छुप कर जवानों से अपने आप को बचाता रहा। रंजीत बताते है कि शाम को ग्रामीणों के पहुंचने के बाद वे पेड़ से उतरे और नक्सल खेमे में अपने साथियों के पास पहुंचे।
प्रेमिका से बिछड़ने के एहसास ने नक्सली को तोड़ा
आगे बताया कि पेड़ के नीचे नक्सलियों की खोज खबर के लिए जवान चप्पे चप्पे में सर्च अभियान चला रहे थे। इस दौरान ऐसा लगा मानो मौत सामने खड़ी हैं। मौत का दीदार होने से उसे अपनी प्रेमिका काजल से बिछड़ने का एहसास होने लगा था। मौत को चौबीस घंटे तक करीब से देखने के बाद उसका हौसला इस कदर टूट गया कि उसने उसी दिन आत्म समर्पण करने का दृढ़ संकल्प ले लिया। उन्होंने बताया कि उसका ऑटोमेटिक हथियार एलएमजी को वह जमीन में छिपा दिया था जिसे जवान खोजकर ले गए।
नाकामी का ठिकरा लोकल नक्सलियों पर
चौबीस घंटा पेड़ में रहने के दौरान फोर्स की आमद होने और मौत का दीदार होते ही हर पल काजल की याद उसे सताने लगी थी। घटना के बाद गांव वाले आए तो उन्हें देखकर पेड़ से उतरकर वह ग्रामीणों के साथ बॉन्ड्स गांव चले गया। वहां रात बिताने के बाद शीर्ष नक्सल लीडर कमलेश से मुलाकात हुई। बातचीत के दौरान नक्सल मोर्चे में नक्सलियों की मौत को लेकर सीसी मेंबर से चर्चा हुआ तो मुठभेड़ में मिल रही नाकामी का पूरा ठिकरा लोकल नक्सलियों पर फोड़ा गया जिसके बाद हौसले ने और जवाब दे गया।
शीर्ष लीडर अपनी पत्नी को ले गए सेफ जोन
रंजीत ने बताया कि करीब पांच दिन बाद सीनियर लीडर कमलेश अपनी पत्नी सरिता को लेकर सेफ जोन में चला गया। उनके बड़े लीडर का अपनी पत्नी को लेकर इस कदर जाने से लोकल नक्सलियों के मन में हताशा हुआ और मन में ख्याल आया कि बड़े लीडर धोखा देकर खुद को बचाने के लिए सेफ जोन जा रहे हैं। इसके बाद मन टूट ही गया और रंजीत ने ठान लिया कि जल, जंगल और जमीन के नाम पर बस्तर के आदिवासी युवकों को सिर्फ हथियार बनाकर उपयोग किया जा रहा हैं। इन तमाम घटनाओं के बीच रंजीत समाज के साथ सामान्य जीवन बिताने के लिए अपनी पत्नी काजल को समर्पण करने के बारे में बताया और उसे राजी कर लिया जिसके बाद दोनों नक्सल पंथ से हमेशा के लिए तौबा कर लौट आए हैं।
नक्सलियों के बीच से निकलने बनाया प्लान
प्रेम में ताकत असीमित होती है। रंजीत और काजल ने अपने प्यार के लिए सबसे बड़ा कदम उठाया और आत्मसमर्पण करने के लिए अबूझमाड़ के एक गुप्त स्थान को चुना। नक्सलियों के बीच से निकलने के लिए उन्होंने एक प्लान बनाया था जिसके तहत पहले रंजीत नक्सलियों के आंखों में धूल झोंककर जंगल से निकला फिर काजल नक्सली संगठन का मोह त्यागकर प्लान के तहत उस गुप्त स्थान में पहुंची। जहां से दोनों एक नए जीवन की शुरुआत करने के लिए समाज की मुख्यधारा से जुड़ गए।
ऐसे प्यार चढ़ा परवान
दोनों माओवादी संगठन के कैडर थे। जंगलों के भीतर, जहां हर कदम मौत के साए में डूबा था, दोनों की मुलाकात हुई। काजल की हंसी और रंजीत की संजीदगी के बीच अनकहा रिश्ता बन गया। बंदूकों के बीच किसी ने धीरे से कह दिया, “संगठन से ऊपर कुछ नहीं है।” लेकिन रंजीत और काजल का दिल इस आदेश को मानने को तैयार नहीं था। विपरीत परिस्थितियों में उड़ीसा के जंगल में एक दिन रंजीत और काजल ने विवाह कर लिया और सात जन्मों तक एक दूसरे का साथ निभाने का वचन ले लिया। लेकिन उनकी खुशियां ज्यादा दिन टिक नहीं पाईं। वहां नक्सलियों के संगठन को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। "व्यक्तिगत जीवन संगठन की विचारधारा के खिलाफ है," यही फरमान उन्हें सुनाया गया। जिसके बाद उन्हें अलग अलग करने की हर मुमकिन कोशिश की गई। फिर इन्हें अबूझमाड़ भेजकर कंपनी नंबर छह के सेक्शन नंबर एक और दो में तैनात कर उन्हें एक दूसरे से जुदा कर दिया गया। नक्सली संगठन की फैमिली पॉलिसी के तहत शादी से एक माह पहले ही रंजीत का नसबंदी कर दिया गया।
जानिए नक्सल जोड़े की प्रोफ़ाइल
नक्सलियों के सबसे खतरनाक लड़ाकू दस्ता कंपनी नंबर छह के सेक्शन नंबर एक और दो में सक्रिय सोलह लाख रूपये के इनामी नक्सल जोड़ा रंजीत और काजल की प्रेम की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं मालूम पड़ती हैं। जवानी की दहलीज में कदम रखते ही नक्सल पथ पर चल पड़ी कम्पनी नम्बर -6 की काजल(30) गंगालूर जिला बीजापुर की रहने वाली हैं, जो कि वर्ष 2004 से 2025 के मध्य कई नक्सल घटनाओं में शामिल रही है। इस पर आठ लाख रूपये का इनाम हैं।
वहीं दक्षिण बस्तर में महेंद्र कर्मा की अगुवाई में शुरू हुई सलवा जुडूम अभियान के दौरान गांव में फैली हिंसा से तंग आकर रंजीत लेकामी अपने गांव को युवा अवस्था में छोड़कर नक्सली संगठन में शामिल हो गया था। रंजीत उर्फ अर्जुन(30) पूर्व बस्तर डिवीजन, कंपनी 06 प्लाटून 01 सेक्सन बी कमाण्डर के रूप में सक्रिय रहा हैं। वह मूलतः ग्राम गंगालूर जिला बीजापुर का रहने वाला हैं। जिस पर जिस पर 08 लाख रूपये का इनाम घोषित हैं।