Beggar in Bhopal : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कमला पार्क के पास मिले एक भिखारी से जब टीम ने भिखारी गृह जाने की बात कही तो उसने बताया कि वह कई साल से भीख मांग रहा है। वहीं इलेक्ट्रीशियन का भी काम है। जब तक काम नहीं लगता, तब तक कपड़े, खाना मांगकर काम चलाते हैं। जिंदगी निकल गई भिक्षा मांगते-मांगते हुए अब कहां जाएंगे।
25 लाख का मकान मालिक भिखारी
इसी तरह एक दूसरे भिक्षुक ने बताया कि वह आश्रय स्थल क्यों जाए, उसका तो नीलबड़ सांईनाथ नगर में 25 लाख का मकान है, मैं आपके साथ चला गया तो उस पर कोई कब्जा कर लेगा फिर मैं क्या करूंगा। वह सतपुड़ा भवन, मंत्रालय, पीएचक्यू सहित अन्य स्थानों पर जाकर भिक्षा मांगता है। टीम दोनों को भीख नहीं मांगने की समझाइश देकर आगे बढ़ गई।
शहर में घूम रही 10 सदस्यीय टीम
शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त करने के लिए नेलोर शिक्षा समिति को जिम्मेदारी दी गई है। समिति की 10 सदस्यों की टीम ने सोमवार को माता मंदिर, कमला पार्क, लखेरापुरा सहित अनेक सार्वजनिक स्थानों का भ्रमण किया। जहां पर महिला, पुरुष भिक्षावृत्ति में लिप्त थे।
भिक्षुक बना रहे नए-नए बहाने
जब टीम ने इनको आश्रय स्थल की व्यवस्था के बारे में बताते हुए साथ चलने के लिए कहा तो इन्होंने मना कर दिया। समिति की अध्यक्ष संगीता नोलोर ने बताया कि हमारी टीम हर दिन प्रयास कर रही है, लेकिन भिक्षुक कुछ न कुछ बहाने बनाकर आने से मना कर देते हैं। अभी आश्रय स्थल में कुल चार भिक्षुक रखे गए हैं, जिनका नियमानुसार ध्यान रखा जा रहा है।