भौंरासा अखाड़े वाली माता : मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की कुरवाई तहसील से करीब 3 किमी दूरी पर स्थित भौंरासा गांव में विराजमान माता रानी का धाम आस्था का केन्द्र है। यहां विराजी माता रानी को गज सिंह वाहिनी अखाड़े वाली माता के नाम से जाना जाता है। माता रानी के इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता हमेशा लगा रहता है।
400 साल पुराना मंदिर का इतिहास
भौंरासा गांव पहाड़ी के समीप स्थित मां गजसिंह वाहिनी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, इस मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि भौंरासा के पहाड़ पर सदियों पहले एक बस्ती हुआ करती थी, जहां छीपा (भावसार) समाज के लोग रहा करते थे। भौंरासा गांव पहाड़ पर ही हुआ करता था। मंदिर का इतिहास भावसार समाज से जुड़ा रहा है। भावसार छीपा समाज के वंशज गजसिंह वाहिनी को अपने आराध्य देवी हिंगलाज माता मानते हैं। भावसार समाज के वंशजों का कहना है कि यह आराध्य देवी हिंगलाज माता का मंदिर है, माता की प्रतिमा गज और सिंह के ऊपर विराजमान है। इसलिए माता को लोग गज सिंह वाहिनी के नाम से जानते हैं। बताया जाता हैं कि पहाड़ पर कभी 108 मंदिर हुआ करते थे। गजसिंह वाहिनी मंदिर का जीर्णोद्धार मंदिर में मौजूद अधूरे बीजक के अनुसार संवत 1681 करीब 400 साल पुराना है, मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार 1985 में ग्राम भौंरासा के रह वासियों द्वारा कराया गया है।
माता रानी बदलती है तीन रूप
स्थानीय बुजुर्गो की माने तो करीब 35 साल पहले तक मंदिर में जंगली जानवर शेर और तेंदुए आते भी देखे गए हैं। मां भगवती यहां एक दिन में तीन रूप बदलती हैं, स्थानीय मान्यता के अनुसार मां गजसिंह वाहिनी की प्रतिमा सुबह से लेकर शाम होने तक तीन
रूप में नजर आती हैं, मां सुबह नन्हीं बालिका के स्वरूप तो, दोपहर में मां के चेहरे का तेज बढ़ जाता है। शाम ढ़लते ही मां गजसिंह वाहनी ममतामयी सौम्य करुणा के रूप में नजर आने लगती हैं।
तालाब से प्रकट हुई थी माता रानी
जानकारों के अनुसार पहाड़ी के पास बना यह मन्दिर और प्रतिमा का रहस्य सदियों पुराना है। वर्तमान भौंरासा गांव बाद में बसाया गया है, जहां आज भी खुदाई में और दीवारों में सनातन धर्म की प्रतिमाएं और मंदिरों के अवशेष मिलते हैं। लोगों का कहना है कि पहाड़ी पर एक महल भी हुआ करता था। जिसमें एक सुरंग हुआ करती थी। वह सुरंग मंदिर के पीछे भुजरिया तालाब मैं निकलती थी। महल की महिलाएं सुरंग के द्वारा ही तालाब पर स्नान करने आती थीं। मां गजसिंह वाहिनी की जो प्रतिमा मन्दिर में स्थापित है, वह यहीं से प्रकट हुई थी, इस मंदिर में श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं, नवरात्रि के अवसर पर सुबह से महिलाओं एवं श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है।
मंदिर में हैं चमत्कारी कुंआ
भौरासा की गजसिंह वाहिनी दुर्लभ प्रतिमा में हैं। मां भवानी हाथी और शेर उसके ऊपर विराजमान है। वहीं इस स्थल के पास एक कुआं है। कुआं का पानी दूध की तरह उजला है और पीने में मीठा लगता है। बताया जाता है की यह कुआं कभी नहीं सूखा। कहते हैं कुऐ के पानी से कई रोग दूर हो जाते हैं, कुएं के पत्थरों पर आज तक काई तक नही जमी इस कुएं का इतिहास भी मंदिर के साथ जुड़ा हुआ है।