MP BJP Jila Adhyaksh: मध्यप्रदेश बीजेपी में जिलाध्यक्षों की सूची राजनीतिक वर्चस्व की जंग बनती दिखाई देने लगी है इसी का प्रमाण है कि बीजेपी बीते दिनों से अबतक जिलाध्यक्षों की सूची जारी नहीं कर पाई। जबकि पैनल तैयार होकर दिल्ली पहुंच चुके है। दिल्ली दरबार में बैठक भी हो चुकी है। सब कुछ तय हो चुका है, लेकिन सूची में इतनी देरी क्यों? इतनी खिंचतान तो विधानसभा और लोकसभा के टिकटों में नहीं देखी गई जो जिला नेतृत्व को लेकर देखी जा रही है।
सूची को लेकर आलम यह है कि जिलाध्यक्षों का फैसला केन्द्रीय नेतृत्व को करना पड़ रहा है। और जब केन्द्रीय नेतृत्व सूची पर सहमति दे चुका है, लेकिन सूची प्रदेश तक आते आते पेंच फंस जाता है और सूची अटक जाती है। इसी आनन फानन में केन्द्रीय नेतृत्व प्रदेश नेतृत्व को दिल्ली बुला लेता है। दिल्ली में बैठक हो जाती है, लेकिन इसके बाद भी सूची नहीं आती है। बीजेपी सूत्रों की माने तो जिलाध्यक्षों का पेंच सबसे ज्यादा सागर, ग्वालियर और इंदौर को लेकर फंस रहा है। इन जिलों के चलते संगठन में सूची को लेकर रायता फैलता ही जा रहा है। पार्टी के सामने सबसे बड़ी उलझन ये है कि सूची तो कभी भी जारी कर दें, लेकिन सूची के बाद कहीं विद्रोह न हो जाए। इसको लेकर संगठन सबसे ज्यादा गंभीर है।
ये नेता फैला रहे रायता?
पार्टी सूत्रों की माने तो जिलाध्यक्ष की सूची का रायता सबसे ज्यादा ऐसे नेता फैला रहे है, जिनके आगे पूर्व लगा है। दरसअल, जिलाध्यक्ष बनने के लिए सबसे ज्यादा पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व महापौर लॉबिंग कर रहे है। इतना ही नहीं दावेदारों की सूची में पूर्व मेयर, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी ताल ठोक रहे है। जिसके चलते प्रदेश भाजपा नेतृत्व असमंजस की स्थिति में है। यही कारण है मामला केन्द्र के पाले में पहुंच गया है।
ये पूर्व ठोक रहे ताल!
सागर जिले में पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खेमे के पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह जिलाध्यक्ष को लेकर ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। तो वही टीकमगढ़ जिले में पूर्व विधायक राकेश गिरी जिलाध्यक्ष की दौड़ में है। इसी तरह निवाड़ी से पूर्व भाजपा विधायक शिशुपाल सिंह, रीवा से पूर्व मेयर वीरेन्द्र गुप्ता, सिवनी जिले से पूर्व युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार, छतरपुर जिले से पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अर्चना सिंह अपनी दावेदारी ठोक रही है। इन सभी नेताओं के पीछे बड़े नेताओं का हाथ है।
पार्टी सूत्रों की माने तो बीजेपी दो दौर में सूची जारी कर सकती है। पहली सूची में उन जिलाध्यक्षों के नाम होंगे जहां कोई पेंच नहीं है। ऐसे जिलों के मुखियाओं की सूची लगभग फाइनल होकर लिफाफे में बंद हो चुकी है। वही दूसरी सूची में वो जिले रहेंगे जहां पेंच फंसा हुआ है। इस सूची को होल्ड किया जा सकता है। इसके अलावा प्रदेश भर के जिलों में महिलाओं को भी नेतृत्व करने का मौका दिया जा सकता है।
ये महिलाएं बन सकती है अध्यक्ष?
भोपाल : वंदना जाचक
बैतूल : रश्मि साहू
दतिया : मीनाक्षी कटारे या रजनी रावत
मुरैना : मधु दंडोतिया
राजगढ़ : नीलम सक्सेना
बड़वानी : अंजना पटेल
धार : कुसुम सोलंकी
देवास : माया पटेल
मंदसौर : प्रियंका गोस्वामी
नीमच : हेमलता धाकड़
छिंदवाड़ा : गरिमा दामोदर
नरसिंहपुर : बीना ओसवाल
सिवनी : नीता पटेरिया
मंडला : शशि पटेल
शहडोल : अनिता चापरा
सीधी : पूनम सोनी
रीवा : विभा पटेल
पन्ना : मीना राजे
दमोह : कविता राय
टीकमगढ़ : सरोज राजपूत
श्योपुर : सरोज तोमर
शिवपुरी : सीमा शिवहरे का नाम संभावित तौर पर बताया जा रहा है।
कब आएगी सूची?
जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर भाजपा नेताओं के अलग अलग मत है, लेकिन फिलहाल सूची नहीं आने वाली है। जिलाध्यक्षों की सूची मकर सक्रांति यानि 14 जनवरी के बाद ही आएगी। दसअल, इन दिनों खरमास के दिन चल रहे है। खरमास के दिनों का समय अशुभ माना जाता है। खरमास के समय शुभ और मांगलिक कार्य नहीं होते है। इसके अलावा ताजपोशी और पदभार ग्रहण भी नहीं किए जाते है। 14 जनवरी को खरमास के दिन उतर जाएंगे। इसके बाद ही बीजेपी जिलाध्यक्षों की सूची जारी करेगी। राजनीतिक पंडितों का भी यही मानना है। उनका कहना है कि बीजेपी हिंदुत्ववादी राजनीतिक दल है। भाजपा और संघ खरमास, कड़वे दिन, महूर्त को मानती है। बीजेपी हमेशा से हिंदुत्व की विचरधारा पर चलती आई है। यही कारण है कि खरमास के दिनों में बीजेपी जिलाध्यक्षों की सूची जारी नहीं कर रही है।