भोपाल। प्रदेश के बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत के बाद वन महकमा अब अलर्ट मोड पर है, इसलिए इन दिनों मध्यप्रदेश के वन अधिकारियों का एक दल तमिलनाडु के अन्नामलाई टाइगर रिजर्व के दौरे पर है। इस दल में संजय गांधी टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ नेशनल पार्क के वन अमले को शामिल किया गया है। फील्ड डायरेक्टर से लेकर रेंजर तक इसमें शामिल है। दरअसल, दोनों टाइगर रिजर्व की सीमाएं छत्तीसगढ़ से जुड़ी हुई है। छत्तीसगढ़ के हाथी सीमा पार कर मध्यप्रदेश आ जाते हैं।
हाथियों के मूवमेंट पर सायरन की आवाज सुनाई देती है
अन्नामलाई टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने एमपी के दल को बताया कि हाथियों को भगाने के लिए नवीनतम तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है, जिसमें ई-सर्विलेंस सिस्टम, जीएसएम आधारित अलर्ट सिस्टम सहित अन्य तकनीक शामिल है। ई-सर्विलेंस सिस्टम से हाथी मूवमेंट वाले क्षेत्रों में कैमरे लगाए गए हैं। इस दौरान उसका मूवमेंट हुआ तो ग्रामीणों का सायरन की आवाज सुनाई दे जाती है, जिससे वो अलर्ट हो जाते हैं। वहीं वन अधिकारियों को भी समय पर त्वरित सूचना मिल जाती है।
इससे मानव हाथी संघर्ष की स्थिति टल जाती है। वन विभाग के अधिकारियों ने अन्नामलाई टाइगर रिजर्व प्रबंधन से मानव हाथी संघर्ष से निपटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियों और हाथी संचालन कक्ष के संबंध में कार्यप्रणाली की जानकारी दी। अन्नामलाई टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्सा अधिकारियों ने हाथी के ट्रीटमेंट से जुड़ी कई जानकारियों को भी साझा किया।
तमिलनाडु की तर्ज पर हाथियों की सुरक्षा और देखभाल
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में भी तमिलानाडु की तर्ज पर हाथियों की सुरक्षा और देखभाल के लिए ई-सर्विलेंस सिस्टम लागू होगा। कारण यह भी है कि तमिलनाडु में बड़ी संख्या में हाथी है। वहां का वन अमला हाथियों की कार्यप्रणाली को लेकर दक्ष है। इस लिए मध्यप्रदेश के वन अधिकारियों का 18 सदस्यीय दल अन्नामलाई टाइगर रिजर्व का भ्रमण कर रहा है।
वन विभाग को सौंपेगे दौरे की रिपोर्ट
वन विभाग का अमला हाथियों की सुरक्षा और मैनेजमेंट के संबंध में अन्नामलाई टाइगर रिजर्व के दौरे की एक रिपोर्ट वहां से लौटकर विभाग को सौंपेगा। इसके बाद विभाग तमिलनाडु का सिस्टम लागू करने का प्रस्ताव उच्च स्तर पर भेजेगा। वाइल्ड लाइफ के एपीसीसीएफ एल कृष्णमूर्ति का कहना है कि तमिलनाडु में हाथियों की संख्या ज्यादा है। वहां का वन अमला तकनीकी रूप से भी हाथियों के मैनेजमेंट में दक्ष है। वन अधिकारियों को एक दल वहां के दौरे पर है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर तमिलनाडु में हाथियों को सुरक्षा और मैनेजमेंट का सिस्टम मप्र में भी लागू किया जाएगा।