जबलपुर। भारत में अधिकतर शिक्षा को लेकर सवाल खड़े होते ही रहते हैं। इसी बीच एमपी से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एमपी में बच्चे स्कूलों से तो ड्रॉप ऑउट कर ही रहे थे। अब यही काम कॉलेजों में भी किया जाने लगा है। स्कूलों की तरह कॉलेजों में भी ड्रॉप ऑउट में बढ़त देखी जा रही है। एमपी के जबलपुर की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी द्वारा इस संदर्भ में चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। यहां तीन साल में 30 फीसदी से अधिक विद्यार्थियों ने ड्रॉप ऑउट किया है। जिससे विश्व विद्यालयों में चिंता बनी हुई है। साथ ही इसका कारण नई शिक्षा नीति को भी बताया जा रहा है।
अंतिम वर्ष आने तक घट गई संख्या
असल में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा किए गए खुलासे में सामने आया है कि वर्ष 2021 में एमपी में नई शिक्षा नीति लागू कराई गई थी। इस समय करीब 34 हजार विद्यार्थी प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल हुए थे। इसके बाद अंतिम वर्ष आने तक इनकी संख्या घटकर 22 हजार का आस-पास रह गई। जिससे साफ जाहिर है कि कई विद्यार्थियों ने अपना कोर्स बीच में ही छोड़ दिया। आपको बता दें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से परम्परागत पाठ्यक्रम के करीब 150 कॉलेज संबद्ध हैं। जिनमें स्वशासी कॉलेजों को छोड़कर बाकियों में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा ही परीक्षा संचालन कराया जाता है।
12 हजार विद्यार्थियों ने किया ड्रॉप ऑउट
2021 में बीए, बीएससी और बीकाम प्रथम वर्ष की परीक्षा में 34 हजार स्टूडेंट्स शामिल हुए, लेकिन तीसरे साल तक ये आंकड़ा 22 हजार पर आकर थम गया। इस दौरान 12 हजार विद्यार्थियों ने ड्रॉप ऑउट किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस प्रथम वर्ष की परीक्षा में करीब 6 हजार विद्यार्थी असफल रहे थे। तो संभवतः इसी के कारण उन्होंने कॉलेज आना बंद कर दिया। वहीं बाकी 6 हजार अपनी पारिवारिक परेशानियों का हवाला देते हुए कॉलेज छोड़ दिए हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों की मानें तो इसका कारण नई शिक्षा नीति है। जिसके चलते अधिकतर विद्यार्थी कोर्स को बीच में छोड़ दे रहे हैं। नई शिक्षा नीति के तहत सिलेबस में कई तरह के बदलाव हुए हैं। साथ ही प्राइवेट परीक्षा में भी नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। इस कारण कई विद्यार्थी इस कोर्स की बदौलत ड्रॉप ऑउट कर रहे हैं। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि इस नई नीति में परीक्षा और अध्ययन की अवधि थोड़ी लंबी हुई है। फिलहाल अभी पहला बैच निकला है। संभव है कि कुछ परेशानी हुई होगी, लेकिन नए बैच में स्थिति बेहतर होगी।
नई शिक्षा नीति से जोड़ना उचित नहीं
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर दीपेश मिश्र ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम स्टूडेंट्स के लिए अच्छा है। इसमें कई अवसर हैं। यह जरूर है कि फाउंडेशन कोर्स में अधिकांश स्टूडेंट्स फेल होते हैं। इसमें परीक्षा आब्जेक्टिव होती है। स्टूडेंट्स के बीच पढ़ाई छोड़ने की बड़ी वजह अन्य पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना भी है। कई स्टूडेंट्स परम्परागत पाठ्यक्रमों में प्रवेश तो लेते हैं, लेकिन तकनीकी और कृषि से जुड़े पाठ्यक्रमों में प्रवेश होने पर पढ़ाई छोड़कर चले जाते हैं। संख्या कम होने की एक वजह यह भी है। उन्होंने कहा कि कॉलेज ड्रॉप आउट को नई शिक्षा नीति से जोड़ना उचित नहीं होगा।