Diwali Special 2024 : दीपों के त्यौहार दीपोत्सव की शुरूआत 29 अक्टूबर मंगलवार से होगी। इस वर्ष दो अमावस्या होने के कारण पंच दिवसीय दीपोत्सव 6 दिन तक मनाया जाएगा। 29 अक्टूबर को धनवंतरी जयंती के साथ देवताओं के द्वारा निर्मित वर्ष का एकमात्र खरीदारी का महामुहूर्त भी रहेगा। धनवंतरी पूजा के साथ प्रदोष व्रत भी किया जाएगा।
मां चामुंडा दरबार भोपाल पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि इस बार दीपावली के दिन सूर्य और चंद्रमा एक दुर्लभ संयोग में मनाया जाएगा। क्योंकि इस बार 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पूरी रात मिल रही है, जो दीपावली के लिए शास्त्रों में श्रेष्ठ बताई गई है। इसीलिए दीपावली पर्व और महालक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर को किया जाना शास्त्र सम्मत है। अमावस्या प्रदोष काल से आधी रात तक रहने वाली श्रेष्ठ होती है। यदि वह आधी रात न रहे तो प्रदोष व्यापिनी लेना चाहिए। इसलिए पूरे भारत में 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी।
31 अक्टूबर को दीपोत्सव पर्व
पुजारी रामजीवन दुबे ने बताया कि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को उपराह्न 2.42 दिन से प्रारंभ होगी एवं लक्ष्मी पूजा प्रतिष्ठानों, कारखानों में प्रारंभ हो जाएगी। इसलिए 31 अक्टूबर को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। देव स्थान, गृहस्थजन प्रदोषकाल सूर्यास्त के बाद दीपोत्सव मना सकेंगे। इस दिन लक्ष्मी-कुबेर पूजा के साथ कुलदेवता, पितृ देवता एवं वास्तु देवताओं के साथ पंचदेवों का पूजन करना लाभकारी माना गया है। प्रदोषकाल में मां लक्ष्मीजी के इस दिन प्रादुर्भाव के समय ईशान कोण एवं घर के बाहर दीपक लगाना शुभकारी होता है। महानिशाकाल में कुबेर के साथ भ्रमणरत महालक्ष्मीजी के लिए स्वच्छता, पवित्रता एवं दीपों की रोशनी से प्रसन्न किया जाता है।
गोवंश के रंग रोगन का महत्व
1 नवंबर को उदयकालिक अमावस्या तिथि सांयकाल 4.30 तक ही रहेगी। यह स्नानदान देव पितृकार्य श्राद्ध अमावस्या के रूप में फलदायी मानी गई है। इस दिन सायंकाल से दीपोत्सव अनेक समाजजनों द्वारा प्रारंभ किया जाएगा। जिसे अहीर, यादव समाज प्राथमिकता के साथ गौवंश का रंग-रोगन करके प्रारंभ करते हैं। कई बार यह उत्सव 30 दिन तक का हो जाता है।
2 नवंबर को अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, बलि पूजा, गौक्रीड़ा आदि उत्सव मनाए जाएंगे। 3 नवंबर रविवार के दिन भाई दूज का त्योहार होगा। इसके साथ चित्रगुप्त जी की पूजा भी की जाएगी। इसे यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार से इस वर्ष पंच दिवसीय दीपोत्सव 6 दिन तक मनाया जाएगा। चूंकि इस दौरान व्रत-पर्व एवं त्योहार मिश्रित रूप में रहेंगे। अत: यह उत्सव त्रिगुणात्मक फल देना वाला माना जाता है।