Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है।
मां दुर्गा के इस द्वितीय स्वरूप में माता भगवान शिव की प्राप्ति के लिए लंबी तपस्या करती हैं जिसके फलस्वरूप उन्हें ब्रह्मचारिणी भी कहा गया है ब्रह्म का अर्थ यहां तपस्या और चारणी का अर्थ है आचरण से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से लंबी आयु आत्मविश्वास सौभाग्य आरोग्य अभय की प्राप्ति होती है माता का यह स्वरूप बताता है कि जीवन में कठिन से कठिन समय में भी मनुष्य को अपना पद नहीं छोड़ना चाहिए।
इस तरह हुई थी मां ब्रह्मचारिणी जन्म:
शास्त्रों की माने तो मां दुर्गा ने पार्वती रूप में पर्वता राज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी बड़ा अपने इस तपस्या की अवधि में उन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यंत कठिन तप से महादेव को प्रसन्न किया उनके इसी तक के प्रतीक के रूप में नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि:
माता के पूजा विधान की बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी पीलिया सफेद रंगों के वस्तुओं का उपयोग करती हैं माता का पंचामृत से अभिषेक करके और फिर रोली अक्षत चंदन आदि पूजन की सामग्री अर्पित करें माता को गुड़हल फूल अर्पित करें और दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं इसके बाद पूरे परिवार के साथ आरती करें माता को पान सुपारी भी भेंट करें और फिर कलश व नवग्रह की पूजा करें इसमें जी के दीपक और कपूर से माता की आरती करें दुर्गा सप्तमी और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
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