Budhni By Poll : मध्यप्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। बुधनी और विजयपुर सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। बीजेपी दोनों सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। वही कांग्रेस प्रत्याशियों के ऐलान का इंतजार है, लेकिन प्रदेश की बुधनी सीट पर बीजेपी में कलह शुरू होती देखी जाने लगी है। उपचुनाव के मतदान से पहले बगावत की बू आने लगी है।
दरअसल, बुधनी उपचुनाव में भाजपा की ओर से रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाया गया है। रमाकांत भार्गव पूर्व सासंद है। वे शिवराज सिंह के सबसे करीबी नेता माने जाते है। रमाकांत भार्गव के नाम पर मुहर लगने के बाद से बुधनी भाजपा में बगावत के सुरू बीते सोमवार को शिवराज द्वारा बुलाई गई बैठक में साफ तौर पर देखने को मिले। शिवराज की बैठक में पूर्व विधायक देवेन्द्र सिंह राजपूत नहीं पहुंचे। जबकि बैठक में उन्हें बुलाया गया था। बैठक में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव, जिला प्रभारी मंत्री गौर और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह समेत कई नेता पहुंचे थे।
खफा हो गए पूर्व विधायक?
बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक देवेंद्र सिंह राजपूत खुफा हो गए है। वही एक और नेता ने मोर्चा खोल दिया है। जिसके बाद से बुधनी सीट पर बीजेपी में कलह बढ़ती दिखाई देने लगी है। देवेंद्र सिंह शिवराज सिंह के बफादारों में से एक है। वे बुधनी सीट से दावेदारी कर रहे थे। वही गुरू प्रसाद शर्मा भी बैठक में नहीं पहुंचे। दोनों नेता रमाकांत के टिकट फाइनल को लेकर नाराज है।
क्यों नाराज पूर्व विधायक?
दरसअल, देवेन्द्र सिंह राजपूत बुधनी सीट से विधायक रहे है। साल 2005 में देवेन्द्र सिंह ने शिवराज सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। जिसके बाद से देवेन्द्र सिंह राजपूत उम्मीद लगाए बैठे थे की उन्हें कभी ना कभी उनके त्याग का फल जरूर मिलेगा, लेकिन जब फल मिलने की बारी आई तो भाजपा ने उनका फल रमाकांत भार्गव को दे दिया।
रमाकांत का विरोध शुरू
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक देवेन्द्र सिंह ने भैरूंदा में एक अलग बैठक बुलाई थी। जिसमें उन्होंने रमाकांत भार्गव का विरोध किया है। देवेन्द्र सिंह ने कहा है कि रमाकांत भार्गव मेरा अपमान कर रहे है। जब वे सांसद थे तब उन्होंने मुझे बुधनी के किसी भी कार्यक्रम में मुझे नहीं बुलाया। इतना ही नहीं उनका कहना है कि मुझे भोपाल में होने वाली बैठक की जानकारी तक नहीं दी गई।
आपको बता दें कि बुधनी उपचुनाव के मतदान से पहले भाजपा में कलह शुरू हो गई है। शिवराज सिंह के अपने ही बगावत पर उतर आए है। अब देखना होगा की शिवराज सिंह अपनी बधुनी की विरासत बचाने के लिए कैसे नाराज नेताओं को मैनेज करते है। हालांकि बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रहे है।