bonfire does not burn : राजस्थान के भीलवाड़ा शहर से सटे हरनी गाँव में 70 पहले होलिका दहन के दौरान आगजनी हुई थी। जिसके बाद ग्रामीणों ने ऐसा कदम उठाया की यह आज पुरे देश के लिए मिशाल बना हुआ है। हर पर्यावरण प्रेमी इसकी प्रशंसा करे बिना नहीं रह सकता है।
READ MORE : अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट में नशे में धुत व्यक्ति ने दूसरे यात्री पर किया पेशाब, आरोपी ने मांगी माफ़ी
इसी खास परंपरा के चलते अब इस गाँव की ख्याति देश और दुनिया में बन गई है। भिलवारा जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर हरिणी गाँव में 70 साल पहले होलिका दहन के दौरान उठी चिंगारी ने पुरे गाँव को अपनी चपेट में ले लिया था। इसमें लोगों को काफी नुकशान उठाना पड़ा था, इसके बाद ग्रामीणों ने गाँव की पंचायत बुलाई। पंचायत की सर्वसम्मति से फैसला लिया गया की अब गाँव में होलिका दहन नहीं होगा। इसके बाद एक अनूठी परंपरा की शुरुवात हुई।
READ MORE : दिल्ली समेत भारत के कई हिस्सों में बढे इन्फ्लूएंजा के केस, मरीजों में कोरोना जैसे लक्षण
पंचायत के पञ्च फैसले से ग्रामीणों ने चंदा एकत्र किया और चांदी की होलिका और सोने का प्रहलाद बनवाया। इसे होली के पर्व पर गाँव में स्थित 500 साल पुराने श्री हरनी श्याम मंदिर से शोभायात्रा के रूप में होलिका दहन के स्थान पर किया जाता है। जहाँ सर्व समाज के लोग उसकी पूजा अर्चन करते है।बाद में मंदिर में ले जाकर रख देते है। तब से लेकर अब तक यह परम्परा निभाई जाती है। इसके बाद गाँव में कभी आग नहीं लगी और पेड़ पौधे को भी नुकसान नहीं पहुँचता।
Watch Latest News Video: