भोपाल। कोटा रेल मंडल के कवच सिस्टम से लैस होने के बाद अब भोपाल रेल मंडल ने भी इस सिस्टम को लगाने को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहले चरण में भोपाल रेल मंडल के बीना-इटारसी-जुझारपुर खंड पर यह सिस्टम लगाया जाएगा। इसको लेकर गुरुवार को रेलवे की ओर से टेंडर जारी कर दिया है। आवेदक 13 दिसंबर तक टेंडर जमा कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि भोपाल मंडल के इटारसी सहित पश्चिम-मध्य रेल जोन में कुछ स्थानों पर ट्रेनों के पटरी से उतरने की पूर्व में लगातार घटनाएं भी हो चुकी हैं, तो वहीं इन दिन सर्दी के चलते कोहरा भी पड़ने लगा है। ऐसे में कवच सिस्टम लगाने का काम एक माह पहले शुरू किया जाना था।
रेल मंडल मंत्री वैष्णव ने कवच के लेटेस्ट वर्जन 4.0 की थी लांचिंग
पश्चिम-मध्य रेल जोन के अंतर्गत आने वाले कोटा मंडल के सवाईमाधौपुर में कुछ माह पहले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कवच के लेटेस्ट वर्जन 4.0 की लांचिंग और टेस्टिंग थी, जो कि पूरी तरह सफल रहा था। पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हर्षित श्रीवास्तव के अनुसार कवच सिस्टम में एक आरएफआईडी रेलवे ट्रैक पर लगाया जाएगा। यह रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस है और एक आरएफआईडी रीडर ट्रेन इंजन के भीतर लगाया जाएगा। पूरे भारत में 10 हजार रेलवे इंजनों में कवच सिस्टम लगाए जाने हैं। यह लगभग 45,000 करोड़ की योजना है ।
सेंसेटिव क्षेत्र यहां
भोपाल रेल मंडल क्षेत्र के अंतर्गत 163 किमी क्षेत्र ऐसा है, जो सेंसिटिव है और उससे संबंधित ट्रैक और स्टेशन के साथ ही वहां से गुजरने वाली ट्रेनों के इंजनों पर कवच को इंस्टॉल किया जाएगा। मंडल का सबसे ज्यादा सेंसेंटिव बुदनी-बरखेड़ा घाट सेक्शन है। अगले वर्ष 2025 के अंत तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
आमने-सामने आने पर भी नहीं टकराएंगी ट्रेनें
दो ट्रेनें यदि एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ जाएं, तब भी वे एक दूसरे से नहीं टकराएंगी और नजदीक पहुंच कर रुक जाएंगी। इसे रेल कवच कहते हैं, जिसे पमरे रेल जोन के तहत आने वाले भोपाल, जबलपुर व कोटा मंडलों के करीब 463 किमी क्षेत्र में लगाने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से मिल गई है। एक स्टेशन और उसके आसपास के क्षेत्र में इसका खर्च 50 लाख रुपए आता है। जबकि पहले लगाई गई डिवाइस पर दो करोड़ रुपए तक खर्च करना पड़ता था।
मिल चुकी है अनुमति
पिछले पांच सालों के दौरान रेलवे द्वारा बनाई गई तीन डिवाइस को कंबाइंड कर इसे बनाया गया है। इसके बाद आरडीएसओ ने इसका टेस्टिंग कर इंस्टॉलेशन की स्वीकृति प्रदान की है।