भोपाल। सड़कों पर गोवंश सहित अन्य मवेशियों को खुला छोड़ने वाले और सार्वजनिक स्थानों पर मवेशियों को बांधने वालों से एक हजार रुपए जुर्माना वसूली का आदेश पिछले साल बारिश के दौरान सरकार ने निकाला था, लेकिन अब तक नगर निगम ने इस पर अमल शुरू नहीं किया। नतीजा निगम की गोवर्धन परियोजना शाखा ने शहर के अलग-अलग इलाकों से 100 से ज्यादा मवेशियों को पकड़ा। लेकिन किसी भी मवेशी मालिक पर एक रुपए का जुर्माना भी नहीं हुआ। इधर, इस ममले में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि शासन ने भले ही जुर्माना लगा दिया हो, लेकिन अब तक विभागीय आदेश उन्हें नहीं मिला। जिसकी वजह से जुर्माने की कार्रवाई नहीं की जा रही।
सड़कों पर घूमने वाला गौवंश और अन्य मवेशी बारिश के दौरान आए दिन हादसों की वजह बन रहे हैं। इनकी वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में कई लोगों की जान तक चली जाती है। ऐसे में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने मप्र नगर पालिक अधिनियम 1956 में संशोधन कर गजट नोटीफिकेशन जारी कर दिया है। जिसके बाद सभी नगरीय निकाय सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों के मालिकों से एक हजार रुपए तक जुर्माना वसूल सकते हैं। जानकारी के मुताबिक संशोधित नियम के तहत इंदौर नगर निगम ने जुर्माने की कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन भोपाल में अब तक कार्रवाई का कोई अता-पता ही नहीं है।
1976 से चल रही डेयरियां शिफ्ट करने की कवायद
राजधानी की सड़कों से सात हजार से ज्यादा आवारा मवेशियों का डेरा है। इन्हें हटाने के साथ ही नगर निगम सीमा में संचालित 800 डेयरियों को शिफ्ट करने की कवायद 1976 से चल रही है। लेकिन, न तो डेयरियां शिफ्ट हो सकीं और न ही मवेशियों की तादाद ही कम हुई।
एक साल में कैटल फ्री हो गया इंदौर, भोपाल 48 साल बाद भी नहीं
भोपाल में पहली बार डेयरी शिफ्टिंग की कवायद 48 साल पहले शुरू हुई थी, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी। इधर 2016 में एनजीटी के आदेश पर शासन द्वारा बड़े शहरों के रिहायशी इलाकों में पशु पालन पर रोक लगाते हुए शहर को कैटल फ्री जोन घोषित किया था। जिसके बाद इंदौर महज एक साल में कैटल फ्री सिटी बन गया। लेकिन भोपाल की सड़कों पर आज भी छह हजार से ज्यादा आवारा मवेशियों का डेरा है।
शहर के दायरे के साथ मवेशी भी ज्यादा पर संसाधन और अमला कम
निगम ने शहर में आवारा मवेशियों को पकड़ने की जिम्मेदारी गोवर्धन परियोजना शाखा की है। यहां तैनात करीब 14 कर्मचारी 4 कैटल कॉर्ट और हाइड्रोलिक प्लेटफाॅर्म लेकर शहर की सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि बिना शिकायत निगम अमला किसी भी आवारा मवेशी को पकड़ने की जहमत नहीं उठाता। क्योंकि निगम कर्मचारी आवारा मवेशियों को पकड़ने में किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहते। नाम न छापने की शर्त पर निगम अधिकारी ने बताया कि शहर में आवारा घूमने वाले मवेशियों में सौ फीसदी गौवंश होता है। ऐसे में जब तक शिकायत नहीं मिलती कर्मचारी मवेशियों को पकड़ने की कार्रवाई नहीं करते। क्योंकि आवारा मवेशियों को एनीमल कॉर्ट में चढ़ाने के दौरान अगर वे घायल हो जाएं या उन्हें खरोंच भी आ जाती है, तो हंगामा हो जाता है।