भोपाल। जिन आयुर्वेद कॉलेजों को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली एनसीआईएसएम से ए ग्रेड रेटिंग दी गई होगी, वो संस्थान नामांकित छात्रों से निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त पांच फीसदी विकास शुल्क ज्यादा ले सकेंगे, जिसका गजट नोटिफिकेशन एक मई 2024 को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली ने विधिवत भारत का राजपत्र में प्रकाशित किया है।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने बताया कि चिकित्सा संस्थानों की रेटिंग संस्था के पाठ्यक्रम का कार्यान्वयन, निगरानी, संशाधनों की गुणवत्ता वृद्धि, रखरखाव, बुनियादी ढांचा व सुविधाएं, अनुसंधान-रिसर्च, नवाचार विस्तार, स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि, छात्र प्रोत्साहन-मार्गदर्शन, संस्थागत संचालन, नेतृत्व व प्रबंधन को देखकर ही रेटिंग ग्रेड कॉलेजों को दिया जाएगा। मप्र में 34 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों से प्रतिवर्ष लगभग तीन हजार से ज्यादा आयुर्वेद बीएएमएस छात्र, बिहार के 10 आयुर्वेद कॉलेजों से लगभग 1000 छात्र समेत देशभर के 450 से ज्यादा आयुर्वेदिक कॉलेजों से 35 हजार से ज्यादा छात्र डिग्री कर निकल रहे है।
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि कॉलेजों को रेटिंग ग्रेड पर विशेष ध्यान देकर जो विकास शुल्क एकत्रित किया जाएगा। उसको कॉलेज हित में ही लगाया जाना चाहिए। कई बार छात्रहित में ज्यादा शुल्क न लिया जाए तो बेहतर है।क्योंकि साढ़े चार वर्ष के डिग्री कोर्स में शासकीय व निजी आयुर्वेद कॉलेजों में वर्तमान में 60 हजार से पांच लाख रुपए प्रतिवर्ष की फीस छात्रों से ली जाती है जबकि डिग्री के पश्चात इंटर्नशिप में शासकीय कॉलेजों में तो स्टॉयपेंड मिलता है परंतु 90 फीसदी से ज्यादा निजी कॉलेजों में स्टॉयपेंड देने का प्रावधान ही नहीं है। यह प्रदेश समेत देशभर के समस्त शासकीय व निजी आयुर्वेद कॉलेजों पर लागू होगा।