Bhopal Beggars : राजधानी में वैसे तो धार्मिक स्थलों की संख्या 8 हजार से ज्यादा है, लेकिन 18 धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जहां भिक्षुओं की संख्या और कमाई दोनों ही सबसे ज्यादा है। यहां परिवार के परिवार करीब 35 साल से भीख मांग रहे हैं, इसलिए मंदिरों पर इनका डेरा भी जमा रहता है।
पूरा परिवार मांगता है भिक्षा
भिक्षा देने वाले भी 5 या 10 रुपए के अलावा 50 या 100 रुपए तक दे जाते हैं। 1100 क्वाटर स्थित धार्मिक स्थल पर बैठे भिक्षुओं के अनुसार वो एक ही बस्ती में रहते हैं और पूरा परिवार ही भिक्षा लेने के लिए यहां बैठता है। घर में भोजन बनाने की जरूरत नहीं और कपड़े भी भरपूर मिल जाते हैं। कुछ सरकारी लोगों ने जानकारी ली थी, जिनसे बोल दिया कि हम तो यहीं ठीक हैं।
यही हालत छोला और मरघटिया धार्मिक स्थल की है, जहां पूरा परिवार ही भिक्षा मांगने बैठा मिला। गुफा मंदिर और बिरला मंदिर के बाहर रोजाना भिक्षुओं की संख्या घटती बढ़ती रहती है। इन दो धार्मिक स्थलों पर भिक्षा देने वाले भी उन्हीं से सिक्के लेकर वहीं भिक्षा में दे देते हैं, जबकि नोट देने वालों की संख्या भी अच्छी है।
कितने वर्षों से मांग रहे हैं भीख?
जिला न्यायालय के पास बने धार्मिक स्थल व उसके आसपास भीख मांगने वाली एक बुजुर्ग महिला कहती हैं कि मैं भीख 30 साल से मांग रही हूं और प्रतिदिन करीब 2,000 रुपए कमाती हूं। यह रकम वहां से गुजरने वाले लोगों की संख्या के आधार पर घटती-बढ़ती रहती है। 1100 क्वाटर में बैठे बुजुर्ग बताते हैं कि 35 साल से यहां बैठ रहे हैं। अब पूरिवार में 7 लोग हैं, जो सभी यहीं बैठते हैं। जबकि न्यू मार्केट धामिर्क स्थल के बाहर बैठे बुजुर्ग बताते हैं कि मजबूरी में 20 साल से भिक्षा मांग रहे हैं।
दान-पुण्य कैसे होगा?
मां चामुंडा दरबार के पुजारी रामजीवन दुबे का कहना है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में दान के महत्व के बारे में बताया गया है। दान करना बहुत ही पुण्य का काम माना गया है। सनातन धर्म में सदियों से ही दान की परंपरा रही है। इसके लिए मंदिरों में किए गए दान-पुण्य का अपना महत्व है। इस लोग मन को शांति मिलती है, मनोकामना पूर्ति, पुण्य की प्राप्ति, ग्रह-दोषों के प्रभाव से मुक्ति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भक्त भगवान के दर्शन के बाद दान-पुण्य करते है। ऐसे में अगर मंदिर के पास भिखारी नहीं बैठेंगे तो दान-पुण्य कैसे कर सकेंगे। हां आज-कल कुछ भीख मांगने वालों की गैंग चलाए जाने जैसे बात सामने आ रही है। यह गलत है। उनको हटाया जाना चाहिए,उन पर कार्रवाई करना सही है।
ट्रैफिक सिग्नल हो भिखारी मुक्त
अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी अनिल आनंद का कहना है कि भिक्षा मांगना भारतीय धर्मों में अति प्राचीन काल से प्रचलित है, भिक्षा मांगने की परंपरा हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्मों में भी देखने को मिलती है। ऐसे में मंदिरों के सामने बैठने वाले भिखारियों को हटाना गलत है। सनातन धर्म दान का महत्व इसलिए मंदिरों के सामने बैठने भिखारी शांति तरीके से बैठते है। यहां आने वाले भक्त जो भी अपनी श्रद्धा-भक्ती से दान करते है। उसको लेते है। मंदिरों की जगह ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने वालों को हटना चाहिए।