रायपुर : प्रदेश के राजधानी स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का आज 39वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर रायपुर एवं राष्ट्रीय कृषि विकास सहकारी लिमिटेड, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल व बरामूला (जम्मू-कश्मीर) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कृषि विषय पर किए जाएगा। तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 20 से 22 जनवरी तक आयोजित की गई है।
कृषि मंत्री करेंगे शुभारंभ :
जिसका का शुभारंभ प्रदेश के कृषि विकास ,जैव प्रौद्योगिकी और किसान कल्याण विभाग मंत्री रामविचार नेताम के द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक रायपुर ग्रामीण मोतीलाल साहू और धरसींवा विधायक अनुज शर्मा यहां पर उपस्थित रहेंगे। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
कृषि विज्ञान अनुसंधान की पहल :
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक रायपुर ग्रामीण मोतीलाल साहू और धरसींवा विधायक अनुज शर्मा यहां पर उपस्थित रहेंगे। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। तीन दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के 21 राज्यों के लगभग 400 से अधिक कृषि वैज्ञानिक और शोधार्थी यहां पर शामिल होंगे। विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर ही इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया है। जिसके तहत प्रौद्योगिकी और कृषि विज्ञान के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल की है।
उत्पादों की बढ़ती मांग पर चर्चा :
इसके अलावा सम्मेलन में पर्यावरण के क्षेत्र में विद्यमान अवसरों, जल वैश्विक परिदृष्य में भूमि और चुनौतियों पर मंथन होगा। वहीं संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए कमियों को तलाशे और इसे सुधारने के रास्ते प्रशस्त किए जाएंगे। जिससे आगामी समय में कृषि फसलों जैसे दलहन, तिलहन, खाद्यान सहित कई जरुरी चीजों की आवश्यक अनुसार उत्पादों की बढ़ती मांग के सन्दर्भ में भी विचार-विमर्श किए जाएंगे। वहीं नई रणनीति भी इस संबध में तैयार होगी।
इतने विद्यार्थी कर रहें पढ़ाई :
इस सम्मेलन में संबंधित विषयों पर शोधार्थियों और वैज्ञानिकों के द्वारा पोस्टर्स व शोध पत्र भी प्रस्तुत किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इस कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना रायपुर में 20 जनवरी 1987 को हुई थी। तब से लगभग 162 प्रजातियों के फसलों का विकास किया गया है। इतना ही नहीं कृषि से अधिकतम लाभ प्राप्ति के लिए 100 से भी ज्यादा तकनीकें विकसित की है। जहां पर स्नात्तकोत्तर पाठ्यक्रमों में 500म स्नातक पाठ्यक्रमों में 2763, और शोध पाठ्यक्रमों (पी.एच.डी.) में 115 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहें हैं।