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छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में होती है डायन की पूजा! जानें क्या है इसका इतिहास 

छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में होती है डायन की पूजा! जानें क्या है इसका इतिहास 

रिपोर्ट - तुलिका सिंह 

रायपुर : क्या आपने कभी सुना है, एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां 'डायन' की पूजा होती है? और वो भी अच्छे काम के लिए! छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में 200 साल पुराना एक अनोखा मंदिर है, जिसे परेतिन दाई के नाम से जाना जाता है। चलिए, जानते हैं इसके पीछे की दिलचस्प कहानी।

बालोद के झींका गांव में है स्थित
बालोद जिले के झींका गांव में स्थित यह मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं है। यहां परेतिन दाई, यानी 'डायन माता' की पूजा होती है। माना जाता है कि बिना सिर झुकाए और दान किए यहां से गुजरने वाले लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

मंदिर में दान करना अनिवार्य
यहां मालवाहक वाहनों के ड्राइवरों को रुक कर कुछ न कुछ दान करना अनिवार्य है। चाहे वह ईंट हो, सब्जी हो या हरी घास—कुछ भी चढ़ाए बिना अगर यहां से कोई गुजरता है, तो दुर्घटना की संभावना रहती है। गांव के दूधवाले बताते हैं कि बिना दूध चढ़ाए निकलने पर उनका दूध फट जाता है, ये कई बार हो चूका है. इसलिए यहां दूध चढ़ाना एक अनिवार्य रिवाज बन गया है।

दोनों नवरात्रों में यहां खास मेले जैसा माहौल होता है। सच्चे दिल से मां परेतिन की पूजा करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं लेकिन ध्यान रहे अगर आप यहां से गुज़रें, तो सिर झुकाना और कुछ दान करना न भूलें!

छत्तीसगढ़ का यह अनोखा मंदिर एक ऐसा उदाहरण है, जो अंधविश्वास और आस्था के बीच की रेखा को धुंधला कर देता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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