MP BJP President : मध्यपद्रेश बीजेपी जिलाध्यक्षों का रास्ता साफ होने के बाद अब नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। दिल्ली चुनाव के बाद कभी भी नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है। अध्यक्ष के लिए नियुक्त चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान दिल्ली चुनाव के बाद रायशुमारी के लिए भोपाल आएंगे, लेकिन रायशुमारी से पहले एक बड़ी खबर समाने आई है। अध्यक्ष की रेस में शामिल बताए जा रहे राज्य के डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला दिल्ली पहुंचे है। शुक्ला ने दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की है। साथ ही शुक्ला ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात कर लंबी चर्चा भी की। जिसकी कुछ तस्वीरे खुद राजेन्द्र शुक्ला ने सोशल मीडिया पर शेयर की है।
आज नई दिल्ली में संसद भवन स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय पर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी से शिष्टाचार भेंट की एवं उन्हें पुष्पगुच्छ तथा शॉल देकर अभिनंदन किया।
— Rajendra Shukla (@rshuklabjp) February 3, 2025
यहां उनसे मध्यप्रदेश के विकास एवं अन्य विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी का… pic.twitter.com/76nVEvMRIc
राजेन्द्र शुक्ला बनेंगे भाजपा अध्यक्ष?
शुक्ला और पीएम मोदी की आचानक मुलाकात को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। क्योंकि अध्यक्ष को लेकर ब्राह्मण वर्ग से आने वाले चेहरे राजेन्द्र शुक्ला का नाम तेजी से चर्चा में बना हुआ है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि राजेन्द्र शुक्ला को बीजेपी प्रदेश में पार्टी की कमान सौंप सकती है। हालांकि ब्राह्मण वर्ग से पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, रामेश्वर शर्मा, आलोक शर्मा जैसे नाम भी चर्चा में बने हुए है।
दावेदारों पर प्रदेश कार्यालय में मंथन
बीजेपी सूत्रों के अनुसार बीते सोमवार को भोपाल भाजपा कार्यालय में प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने एक बैठक की थी। जिसमें अध्यक्ष के दावेदारों पर मंथन और प्रदेश प्रतिनिधि के चुनाव को लेकर चर्चा की गई थी। प्रदेश भर से अबतक करीब 400 से अधिक प्रतिनिधियों की सूची तैयार की जा चुकी है। वही केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के भोपाल आने का कार्यक्रम अबतक तय नहीं हुआ है। हालांकि संभावना है कि दिल्ली चुनाव के बाद या फिर 12 फरवरी के बाद अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है।
हेमंत खंडेलवाल सबसे आगे
बीजेपी सूत्रों की माने तो बैतूल से भाजपा विधायक हेमंत खंडेलवाल अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे है। खंडेलवाल के नाम पर सीएम मोहन और संघ सहमत है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और अगले तीन सालों में निकाय चुनाव के अलावा कोई चुनाव नही है। ऐसे में पार्टी मतदाता गणित और जातिय समीकरण से हटकर पार्टी समन्वय के मुद्दे पर जोर दे सकती है।