बुंदेली गायिका कविता शर्मा : सोशल मीडिया पर इन दिनों एक बुंदेली लोक गीत के कुछ बोल तेजी से वायरल हो रहे है। जिसके बोल है जा कड़ी बगर गई... जा भात बगर गओ..., यह बुंदेली गीत मध्यप्रदेश के छतरपुर की रहने वाली कविता शर्मा ने गाया है। कविता ने बुंदेली भाषा की दुनिया में बहुत ही कम समय में वो मुकाम हांसिल किया है जो शायद आज तक कोई नहीं कर सका।
कौन है बुंदेली गायिका कविता शर्मा?
बुंदेली लोकगीत गायिका कविता शर्मा मूल रूप से मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की रहने वाली है। कविता की प्रारंभिक शिक्षा छतरपुर में हुई है। कविता ने राजधानी भोपाल के नूतन कॉलेज से प्यूजिक से एमए किया है। कविता के पिता का नाम हरसेवक शर्मा है, जो हार्डवेयर की दुकान चलाते है। उनकी माता का नाम कमलेश शर्मा है। कविता बताती है कि उनकी मां कमलेश शर्मा काफी अच्छा गाती है। बचपन से ही कविता ने अपनी मां को गाते देखा है।
कविता के परिवार की उनकी माता और पिता के अलावा वे चार बहन भाई है। वे दो बहन और दो भाई में से दूसरे नंबर की है। कविता को बचपन से ही गाना गाने का शौक रहा है। कविता बताती है कि उन्होंने कॉलेज की शिक्षिका नीना श्रीवास्तव से म्यूजिक के गुर सिखे है। कविता छतरपुर के रहने वाले महेन्द्र तिवारी को अपना गुरू मानती है। काविता बताती है कि उनके प्रेरणा श्रोत जितेन्द्र चौरसिया ने उन्हें बुंदेली में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
ट्रेंड में कविता का लोकगीत
राजधानी भोपाल के जनजातिय संग्राहल में बीते दिनों हुए बुंदेली समागम में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। कविता शर्मा को मशहूर फिल्म अभिनेता आशुतोष रणा ने उनकी सुरीली आवाज के लिए सम्मानित किया था। मंच पर कविता को सम्मानित किया जा रहा था, उस दौरान आशुतोष रणा ने उन्हें अपने बुंदेली गीत को सुनाने का अनुरोध किया था। जैसे ही कविता ने अगड़ बम बागड़ बम नोन जादा मिर्चा कम... जा कढ़ी बगर गई, दोना काय नही लाए... गीत गया तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा था। कविता का यह गीत अब सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद से कविता को बुंदेली फिल्मों में बुंदेली म्यूजिक देने के ऑफर मिलने लगे हैं।
क्या कहती है गायिका कविता शर्मा?
कविता शर्मा का कहना है कि बुंदेली कल्चर काफी पुराना कल्चर है, लेकिन यह आज की आधुनिक दुनिया में लगातार पीछे होता जा रहा है। कविता का कहना है कि वे अपने बुंदेली लोकगीत के माध्यम से इसे जन जन तक पहुंचाना चाहती है। उनका मानना है कि बुंदेली कल्चर भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। बुंदेलखंड की संस्कृति में कई अनोखे पहलू हैं, जैसे कि यहां के लोकगीत, चितेरी कला, और झैंझी पर्व। बुंदेलखंड के लोकगीतों में शौर्य, वीरता, श्रम, और महिलाओं की कोमल भावनाओं का वर्णन होता है।
विकास जैन भोपाल