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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रिमोट का बटन दबाकर किया 3 किताबों का विमोचन, 97 डॉक्टरों ने चार महीने में तैयार की 3 किताबें

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रिमोट का बटन दबाकर किया 3 किताबों का विमोचन, 97 डॉक्टरों ने चार महीने में तैयार की 3 किताबें

BHOPAL: देश में पहली बार मेडिकल की पढाई हिंदी में होगी इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है, जिसका विमोचन आज यानि 15 अक्टूबर को अमित शाह के द्वारा मध्यप्रदेश भोपाल में किया गया. अमित शाह ने रिमोट बटन दबाकर तीन किताबों का विमोचन किया। केंद्रीय गृहमंत्री शाह का एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वागत किया। वे यहां से वायुसेना के हेलीकॉप्टर से लाल परेड ग्राउंड पहुंचे। उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी थे। इस दौरान लाल परेड ग्राउंड पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्री विश्वास सारंग ने स्मृति चिन्ह देकर उनको सम्मानित किया। कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा- हमने फर्स्ट की तीन किताबों का हिन्दी रूपांतरण किया है। 97 डॉक्टरों की टीम ने इस पर काम किया है।

97 डॉक्टरों ने चार महीने में तैयार की 3 किताबें: चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जिम्मेदारी चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया था। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने तक रात-दिन मेहनत कर अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में ट्रांसलेट किया है। डॉक्टरों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की टीम बनाई गई, इस टीम ने 24 घंटे, सातों दिन लगकर MBBS फर्स्ट ईयर की 5 किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया। इस प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं और छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का भी ख्याल रखा गया है। इन किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है, जिसमें शब्द के मायने हिन्दी में ऐसे न बदल जाएं कि उसे समझना मुश्किल लगे।

दवा के पर्चे में इंग्लिश नहीं हिंदी में लिखें: 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, डॉक्टर दवा के पर्चे पर Rx के बजाए श्री हरि लिखें। दवाई का नाम क्रोसिन लिखना है, तो क्रोसिन हिन्दी में भी लिखा जा सकता है। उसमें क्या दिक्कत है.? ऊपर 'श्री हरि' लिखो... और क्रोसिन लिख दो। CM शिवराज भारत भवन में आयोजित हिन्दी विमर्श कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने डॉक्टरों से कहा- यहां जो डॉक्टर मित्र बैठे हैं, वो अच्छा तरीका निकालेंगे।

बता दें कि यूक्रेन, रूस, जापान, चीन, किर्गिस्तान और फिलीपींस जैसे देश अपनी मातृभाषा में ही मेडिकल की पढ़ाई की जाती थी  जो अब भारत में भी  मध्यप्रदेश के द्वारा शुरुआत की जा रही है.


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