भोपाल। देशभर में हजारों की संख्या में डिग्री कॉलेज मौजूद हैं और इन कॉलेज में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं, लगातार 6 से 7 क्लासेस होने की वजह से कई बार ये कॉलेज कैंटीन में ही हल्का-फुल्का नाश्ता करके अपना दिन गुजार लेते हैं या कई बार टिफिन लाना भूल जाते हैं और फिर कॉलेज कैंटीन में ही चाय नाश्ता करते हैं।हाल ही में यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसके अनुसार डिग्री कॉलेज की कैंटीन में मिलने वाले खाने से अनहेल्दी फूड की बिक्री बंद करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें अब जल्द ही कॉलेज कैंटीन में समोसा, नूडल्स, ब्रेड पकोड़ा जैसे अनहेल्दी फूड आइटम खाने को नहीं मिलेंगे।
6-7 घंटे निकल जाते थे...
आनंद विहार कॉलेज की बी एड सेकंड ईयर छात्रा पूजा ने कहा कि मैं तो हमेशा ही कॉलेज में आकर एक समोसा या कचौड़ी खा लेती थी और इससे मेरे 6-7 घंटे आसानी से निकल जाते थे लेकिन अब यदि समोसा या कचौड़ी नहीं मिलेगी तो फिर हमारे लिए क्या ऑप्शन होगा।
यह बहुत अच्छा फैसला...
आनंद विहार कॉलेज की बीए सेकेंड इयर की छात्रा आयुषी शुक्ला ने कहा कि यह एक अच्छा फैसला है क्योंकि इससे हम लोगों को अनहेल्दी फूड आइटम से छूट मिलेगी और हम अपने हेल्थ के लिए काफी अवेयर होंगे क्योंकि अच्छी हेल्थ के लिए फास्ट फूड से दूरी बनानी बेहद जरूरी है।
मैं तो वैसे ही दूर रहती हूं...
वहीं बीएसएस कॉलेज की पिंकी सिरोही ने कहा कि मैं तो वैसे भी अपना टिफिन खुद लेकर जाती हूं और मैं फिटनेस फ्रीक भी हूं तो समोसे, कचौड़ी से तो मैं वैसे ही दूर रहती हूं, हां पोहा जरूर मुझे पसंद आता है और मुझे लगता है कि इस गाइडलाइन में पोहा शामिल नहीं होगा।
दोस्तों के साथ खाता हूं...
बीएसएस के विशाल कहते हैं कि मुझे तो खाने पीने का बहुत शौक है और दिन में मैं एक या दो समोसे-कचौड़ी तो खा ही लेता हूं, क्योंकि दोस्तों के साथ गपशप करने में हमें कुछ ना कुछ तो खाना पड़ता है। अब यदि समोसे-कचौड़ी नहीं मिलेंगे तो फिर हमारे लिए क्या ऑप्शन होगा। यह सोचने वाली बात है।
हर किसी ने किया फैसले का स्वागत
हरिभूमि/आईएनएच ने जब यूजीसी के इस फैसले पर कॉलेज के छात्र-छात्राओं से बात की तो हर किसी ने इस फैसले का स्वागत किया तो वहीं किसी ने कहा कि अब तो हमें सोचना पड़ेगा कि हम क्या खाएं।