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MP Opposition leader : नेता प्रतिपक्ष की रेस में आदिवासी विधायक उमंग सबसे आगे, पटवारी भी मुकाबले में

MP Opposition leader : नेता प्रतिपक्ष की रेस में आदिवासी विधायक उमंग सबसे आगे, पटवारी भी मुकाबले में

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद अब प्रदेश में कांग्रेस किसी नए चेहरे को कमान सौंप सकती है। पूर्व मंत्री उमंग सिंघार, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में हैं। सिंघार चार बार के विधायक हैं और आदिवासी वर्ग से आते हैं। वहीं जीतू पटवारी हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे हैं। 

 सिंघार के बंगले पर कार्यकर्ताओ की भीड़ देखी गई

जीतू पटवारी भी राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से इस्तीफा मांग लिया है। हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया गया है। हालांकि कमलनाथ दिल्ली जाने से पहले ये दावा किया था कि वे तीन दिन बाद दिल्ली से वापस आएंगे और प्रदेश में दौरे करेंगे। साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से लोकसभा की तैयारी की बात भी कही थी। इधर, नेता प्रतिपक्ष की रेस में शामिल होने के बाद से ही सिंघार के बंगले पर कार्यकर्ताओ की भीड़ देखी गई। मिलने वालों का उनके निवास पर तांता सा लगा रहा। समीक्षा बैठक के लिए भोपाल आए सिंघार यहीं पर डेरा डाले हुए हैं। दिग्विजय सिंह से माफी मांगने के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष बनने को लेकर उनके नाम की चर्चा हो गईं थीं। 

सिंघार पर दांव लगाने की कई वजह

 विधायक उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की कई वजह भी है। सिंघार की आदिवासी इलाके में पकड़ है। युवाओं के साथ भाजपा की लहर में 22 हजार से जीते हैं। राहुल गांधी के करीबी और संगठन ने दूसरे राज्यों मेें भी जिम्मेदारी दी थी। हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड में भी जीत दिलाई थी। गौरतलब है कमलनाथ सरकार में दिग्विजय के एक पत्र को लेकर उमंग ने तीखे बयान दिए थे जिसके बाद दोनों में दूरियां बढ़ गई थी। 

चुनाव में ऐसा रहा कांग्रेस का परफार्मेंस

बता दें कि हाल ही में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 66 सीटों पर सिमटकर रह गई है। इससे पहले कांग्रेस को 2018 के चुनाव में 114 सीटें मिली थीं। लेकिन 15 महीने में ही उनकी सरकार गिर गई थी। विधानसभा चुनाव में मिले इन परिणामों पर पार्टी में समीक्षा का दौर जारी है। भोपाल में प्रदेश कार्यालय में बैठक के बाद अब दिल्ली में हार की वजह तलाशी जा रहा है।


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