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आज मनाया जाएगा विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा, जानिए इसके पीछे की मान्यता और रस्म

आज मनाया जाएगा विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा, जानिए इसके पीछे की मान्यता और रस्म

रिपोर्टर - जीवानंद हलधर, जगदलपुर। Bastar Dussehra 2024 छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश का प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का पर्व जगदलपुर में आज मनाया जाएगा जहां 8 चक्कों वाले विजय रथ की चोरी भी की जाएगी। यह रथ किलेपाल के ग्रामीण खीचेंगे। इस दौरान रथ की परिक्रमा की जाएगी। इसके बाद रथ चोरी किया जाएगा। इस रस्‍म को भीतर रैनी रस्‍म कहा जाता है।

विधि-विधान से कराई जाएगी परिक्रमा 


विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व के तहत आज रात भीतर रैनी की रस्म अदा की जाएगी। इस रस्म में 8 पहिए वाले 2 मंजिला विशालकाय रथ में मां दंतेश्वरी के छत्र को रखकर विधि-विधान से परिक्रमा कराई जाएगी। इसके बाद रथ को दंतेश्वरी मंदिर के सामने सिंह ड्योढी पर रोककर उसमें से मांई के छत्र को रथ से उतारकर मंदिर में रखा जाएगा। रथ को सिंह ड्योढी पर ही छोड़ दिया जाएगा।

भीतर रैनी  का महत्व 


इसके बाद इस रथ को चोरी कर आदिवासी, कुम्हड़ाकोट के जंगल ले जाएंगे। बता दें कि इससे पहले, बस्तर दशहरा के तहत कल रात मावली परघाव की रस्म अदा की गई। बस्तर दशहरा में भीतर रैनी केवल रथयात्रा की कहानी नहीं, बल्कि राजा और प्रजा के बीच की आपसी समझ-बूझ और लोकतांत्रिक व्यवस्था का अनुपम उदाहरण भी है।

आधी रात को चुराया जायेगा रथ 


दशहरे की परम्पराओं का निष्ठा से पालन और आस्था के निर्वहन के साथ अपनी जायज मांगों को राजा से मनवाने के लिये किलेपाल के माड़िया जनजाति के लोग, जिन्हें ही आज और बाहर रैनी का रथ खींचने का विशेष अधिकार मिला है, उनकी कुछ मांगों को न मानने के विरोध स्वरूप वे आधी रात को रथ चुराकर शहर की सीमा के पास जंगल में छिपा देते हैं।

नवाखाई की रस्म होगी पूरी 


सुबह जब राजा के संज्ञान में यह बात लाई जाती है, तो वे पद-प्रतिष्ठा से परे स्वयं वहां जाकर उनसे चर्चा कर उनकी मांगों के प्रति सहमति व्यक्त कर वापस महल लौट आते हैं। शाम को वे पुनः कुम्हाकोट पहुंच कर गणमान्य नागरिकों और मांझी, मुखिया, चालकी आदि के साथ नवान्न ग्रहण कर नवाखाई की रस्म पूरी करते हैं। इस बीच दिन भर गांव-गांव से आये देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और अन्य रस्में चलती रहती हैं


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