रायबरेली: मुर्गी के अण्डों से लाखों रूपये कमाए जा सकते हैं। रायबरेली के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी डॉ इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि झारसिम नस्ल की मुर्गी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय झारखण्ड द्वारा विकसित की गई है। देशी नस्ल की मुर्गियों की यह ब्रीड एक वर्ष में 150 अंडे उत्पादन करके देती है।
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झारसिम मुर्गी, रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई एक नस्ल है . इस नस्ल की मुर्गी को किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ही विकसित की गई है .
झारसिम नस्ल की मुर्गी रहेगी फायदेमंद
मुर्गी पालन का काम अब लोगों की आय बढ़ाने के साथ ही उनकी समृद्धि के द्वार भी खोल रहा है। लोग मुर्गी पालन करके आजकल अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। आप भी इस बिजनेस को करके लाखों कमा सकते हैं। इस व्यवसाय में मुर्गी से अंडे का उत्पादन हो जाता है और दूसरा चिकन को बेचकर भी आप कमाई कर सकते है। झारसिम नस्ल की मुर्गी इसके लिए बहुत ही फायदेमंद ब्रीड है।
1 वर्ष में देती है 150 अंडे
यह मुर्गी देशी नस्ल की मुर्गियों की तुलना में अधिक अंडा उत्पादन के लिए जानी जाती है। 1 वर्ष में लगभग 150 अंडे का उत्पादन होता है इसके मुकाबले बात करें देशी मुर्गी की तो देशी मुर्गी से एक वर्ष में लगभग 60 अंडे का ही उत्पादन होता है। अत्यधिक अंडे उत्पादन करने के कारण ही झारसिम नस्ल की मुर्गी इसे अन्य मुर्गियों की तुलना काफी अलग बनाती है।
अंडे का वजन 50 से 55 ग्राम
झारसिम नस्ल की मुर्गियों की खासियत यह भी है कि यह बहुरंगी होती है यानी अलग अलग कलर में पाई जाती है। इसके साथ ही एक अंडे का वजन 50 से 55 ग्राम होता है। झारसिम मुर्गी के अंडे में प्रोटीन और विटामिन भी अधिक मात्रा में पाई जाती है।
झारखंड में पाई जाती है यह ब्रीड
झारसिम नस्ल की मुर्गी मुख्य रूप से झारखंड राज्य में पाई जाती है लेकिन बढ़ते मुर्गी पालन के व्यवसाय के कारण अब यह देश के अलग अलग राज्यों में मुर्गी पालक किसान इसका पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे है। झारसिम मुर्गी ब्रॉयलर और सामान्य देशी मुर्गियों की तरह ही ग्रामीण परिवेश में आसानी से रह सकती है। इसलिए मुर्गी पालक किसान इस ख़ास नस्ल की मुर्गी का पालन करके लाखों तक इनकम कर सकते हैं।