Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग (General Category ) के गरीब वर्गों को दिए जाने वाले 10% आरक्षण को सही ठहराया है, यह कहना 5 न्यायधीशों में से 4 न्यायधीशों का है उन्होंने कहा- यह मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है. इसे जारी रहने देना चाहिए। EWS के पक्ष पर चीफ जस्टिस UU Lalit, जस्टिस Dinesh Maheshwari, जस्टिस Bela Trivedi, और जस्टिस jb pardiwala ने फैसला सुनाया है.
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चारों जस्टिस ने EWS के पक्ष में कहा :
* जस्टिस Dinesh Maheshwari ने कहा कि EWS आरक्षण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है, 50 % के बैरियर में सवर्ण आरक्षण नहीं दिया गया है.
* जस्टिस Bela Trivedi का कहना है कि संसद के इस फैसले को साकरात्मक रूप से देखा जाना चाहिए, संविधान ने समानता का अदिकार दिया है इसे भी उसी तरह ही देखा जाये।
* जस्टिस jb pardiwala ने EWS आरक्षण का पक्ष लेते हुए कहा कि आरक्षण अनंत कल तक जारी नहीं रखा जा सकता इसे निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते।
* चीफ जस्टिस UU Lalit ने भी इस फैसले का सम्मान किया और इसे जारी रखने का समर्थन किया है.
5 जजों में एक जज ने इसका समर्थन नहीं करते हुए कहा है कि:
जस्टिस Ravindra Bhatt ने इसका समर्थन न करते हुए कहा है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण सभी वर्गों को मिलना चाहिए। इसमें SC-ST को शामिल नहीं किया गया है. मैं EWS आरक्षण देने का समर्थन नहीं करता हूँ.
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बता दें जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में EWS आरक्षण लागू हुआ, तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK सहित कई लोगों ने Supreme Court में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.