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Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी दलील, 'पति-पत्नी कौन, कैसे तय हो'

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी दलील, 'पति-पत्नी कौन, कैसे तय हो'

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता दी जाए, इसको लेकर हाई कोर्ट (High Court) में याचिकाएं दायर की गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक कर अपने पास ट्रांसफर कर लिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पिछले 6 दिन से हर रोज सुनवाई कर रहा है। इसकी सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Y. Chandrachud) की अगुवाई वाली संविधान पीठ कर रही है। समलैंगिक विवाह के मामले में आज फिर सुनवाई जारी है। इस दौरान सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को वैध बनाने पर दलीलें रखते हुए कहा कि कोर्ट समलैंगिक विवाह को ज्यादा अधिकार नहीं दे सकते हैं।

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तुषार मेहता ने रखा सरकार का पक्ष:  
Same Sex Marriage : सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दलील देते हुए कहा कि अधिवास के मुद्दे का भी हवाला देते हैं जहां अदालत को यह तय करना होगा कि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) में पत्नी और पति कौन होगा। मेहता ने कहा कि पत्नी शादी के बाद पति का नाम प्राप्त करती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दलील देते हुए मेहता ने कहा कि अगर गोद लिए बच्चे की कस्टडी एक मां के पास जाती है, तो देखना यह होगा कि इस बच्चे की मां कौन होगी। समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) के मामले में यह कैसे तय होगा। 

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समलैंगिक विवाह पर बोले जस्टिस रविंद्र भट्ट: 
Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि अगर सेम सेक्स कपल अलग-अलग धर्म के होंगे, तो और ज्यादा समस्या पैदा हो जाएगी। इसके साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने पर दूसरे कानूनों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। जिसके बाद समाज में इसकी चर्चा होगी। 

केंद्र का SC में हलफनामा, कहा- राज्यों की भी सुनें 
Same Sex Marriage:  यह संसद का मुद्दा केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि यह एक समाज का मुद्दा है। इस पर कानून बनाने का अधिकार संसद (Parliament) को है। कोर्ट समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) जैसे गंभीर मुद्दे को देख रहा है। कोर्ट द्वारा दिया गया कोई भी निर्णय समाज पर गहरा असर डालेगा।

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