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छिपली पारा में एकादशी के दिन हुआ सहस्त्रबाहु रावण का वध, देव विग्रहो का किया सत्कार

छिपली पारा में एकादशी के दिन हुआ सहस्त्रबाहु रावण का वध, देव विग्रहो का किया सत्कार

रिपोर्टर - विनोद गुप्ता // नगरी। 
सिहावा गढ़ के सोना मगर में परम्परानुसार एकादशी दिन रविवार को दशहरा पर सहस्त्रबाहु रावण का वध माता शीतला के खड्ग से हुआ। सैकड़ों साल पुरानी इस ऐतिहासिक परम्परा को देखने हमेशा की तरह ग्रामीणों की भारी भीड़ रही।महिलाओं को इस स्थान पर जाना प्रतिबंधित था। सिहावा शीतला शक्ति पीठ से शीतला माता के पुजारी माता के खड्ग को लेकर सिहावा गढ़ के देव विग्रहो के साथ गांव का भ्रमण कर थाने आये। 

थाने में स्वागत सत्कार उपरांत गणेश मंदिर के पास चांद मारी की ।फिर सोनामगर पहुंच कर पुजारी ने खड्ग लेकर सहस्र बाहु रावण का वध किया।ग्रामीण विजय का प्रतीक मानकर सहस्र बाहु के पुतले की मिट्टी को नोचकर अपने साथ ले गए।

सैकड़ों साल पुरानी है परम्परा 


मान्यता है कि जब भगवान राम लंका पति रावण का वध कर सीता मैया से मिले तब सीता मैया ने उन्हें बताया कि अभी आपको सहस्त्र बाहु रावण का वध करना है तब भगवान राम ने सहस्त्र बाहु रावण पर आक्रमण किया लेकिन ब्रम्हा से मिले वरदान के चलते श्रीराम उसका वध नही कर पाए। मर्यादा तोड़ते हुए सहस्त्रबाहु रावण माता के सामने नग्न होकर ललकारने लगा तब सीता माता ने आदि शक्ति का रूप धारण कर अपने खड्ग से सहस्त्रबाहु रावण का वध किया। सैकड़ों साल पुरानी इस अनूठी परम्परा को दशहरा के रुप मे मनाया जाता है।


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