जबलपुर : मध्य प्रदेश में एक के बाद एक बड़े बड़े घोटालों का लगातार खुलासा हो रहा है। बीते दिन जहां सिंगरौली से 5 करोड़ के बर्तन घोटाले का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। तो वही दूसरी तरफ जबलपुर में ठेकेदारों ने शासन से सड़क बनाने के नाम पर 37 करोड़ रुपए एठ लिया। जिसका खुलासा होने के बाद से प्रशासन में हड़कप मच गया है। तो वही इस पूरे मामले में EOW ने कार्रवाई करते हुए दो जिलों के अधिकारी और ठेकेदारों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिनसे से फ़िलहाल पूछताछ की जा रही है।
37 करोड़ का सड़क घोटाला
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क बनाने के नाम पर ठेकेदारों ने इंडियन ऑयल सहित अन्य कंपनियों के डामर के फर्जी बिल लगाए थे। EOW की जांच में खुलासा हुआ है कि MPRDC जबलपुर और मंडला MPRDC के अधिकारियों की मिलीभगत से यह सारा खेल हुआ है। मामला सामने आने के बाद करीब आधा दर्जन अधिकारी और पांच ठेकेदारों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
100 से ज्यादा फर्जी लगाए गए थे इनवॉइस
जांच में यह सामने आया है कि ठेकेदारों ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, HPCL, BPCL, एस्सार और नायरा जैसी बड़ी कंपनियों के नाम से दो दर्जन से ज्यादा सड़क के पॅकेज में डामर के 100 से ज्यादा नकली इनवॉइस बनाए थे। सत्यता जांचने पर खुलासा हुआ कि ये बिल कंपनियों ने जारी नहीं किए गए थे, बल्कि फर्जी थे। EOW सभी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच में जुट गई।
EOW ने इन ठेकेदारों पर दर्ज किया मामला
ईओडब्ल्यू जबलपुर द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक, '' मेसर्स विश्वकुसुम इन्फ्राटेक प्रोपराईटर अखिलेश मेहता पर 12 करोड़ से ज्यादा के फर्जी इनवॉस लगाने पर मामला दर्ज किया है. इसी प्रकार मेसर्स ए.डी. कंस्ट्रक्शन प्रोपराईटर अनिल दुबे के खिलाफ 36 लाख 31 हजार 302 रु, मेसर्स वैष्णव एसोसियेट प्रोपराईटर धर्मेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ 23 करोड़ 57 लाख 39 हजार 632 रु, मेसर्स लाल बहादुर यादव प्रोपराईटर लाल बहादुर यादव के खिलाफ 79 लाख 94 हजार 821 रु और मेसर्स अब्दुल अजीज प्रोपराईटर अब्दुल अजीज के खिलाफ 21 लाख 99 हजार 332 रु के डामर (बिटुमेन) के फर्जी इनवॉईस लगाकर भुगतान प्राप्त करने पर मामला दर्ज किया गया है