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Project Cheetah : कूनो राष्ट्रीय उद्यान व गांधी सागर परिक्षेत्र में लाए जाएंगे इस साल के अंत तक चीतों के ‘नए’ समूह

Project Cheetah : कूनो राष्ट्रीय उद्यान व गांधी सागर परिक्षेत्र में लाए जाएंगे इस साल के अंत तक चीतों के ‘नए’ समूह

भोपाल। गुरुवार को जारी प्रोजेक्ट चीता की 2023-24 की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के साथ अब आने वाले दिनों राजस्थान के गांधी सागर परिक्षेत्र में चीतों के नए समूह को लाया जाएगा। प्रोजेक्ट चीता के तहत गांधी सागर में चीता लाने की कार्य योजना के अनुसार पहले चरण में 5 से 8 चीतों को 64 वर्ग किलोमीटर के शिकारी-रोधी बाढ़ वाले क्षेत्र में छोड़ा जाएगा, जिसमें प्रजनन पर ध्यान दिया जाएगा। चीता का यह समूह इसी साल के अंत तक लाए जाने की संभावना है।

मौजूदा समय में कूनो परिक्षेत्र में 24 चीते हैं जिसमें 12 वयस्क और 12 शावक हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि कूनो में कुल 6800 वर्ग किमी भूमि में से चीता आवास 3200 वर्ग किमी है। अगले दस वर्षों की अवधि में चीता संरक्षण के लिए तीन से पांच स्थलों को विकसित किया जाएगा। राजस्थान स्थित गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, मध्य प्रदेश में तैयारियों में 28 किमी का बाड़े का निर्माण शामित है। चीतों की प्रारंभिक रिहाई के लिए 64 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए तंबी शिकारी रोधी बाड़, पशु चिकित्सा, निगरानी और सुरक्षा बुनियादी ढांचे का काम लगभग पूरा होने वाला है।

भारत 75% से अधिक बाघों का घर

17 सितंबर को प्रोजेक्ट चीता के दो वर्ष पूरे हुए। 17 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में छोड़ा था। इनमें 5 मादा और 3 नर बीते शामिल थे। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12और चीतों को लाया गया था। 1952 में चीता को भारत से वितुप्त घोषित कर दिया गया था। वहीं, नवीनतम बाघ गणना रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत 75% से अधिक बाघों का घर है।

70 वर्षों के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू विगत दिवस केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि दो साल पहले हमने लगभग 70 वर्षों के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की थी। आज, जब दुनिया इन चीता शावकों को उनके प्राकृतिक आवास में फलते-फूलते देख रही है, हम न केवल उनके अस्तित्व का जश्न मनाते हैं, बल्कि इन विशाल प्रयासों में शामिल सभी लोगों के लचीलेपन और समर्पण का भी जश्न मनाते हैं। यह हमारे पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बहाल करने की शुरुआत है। आगे कई और मील के पत्थर हैं।
 


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