हर महिला के जीवन में मां बनने का अहसास बहुत खास होता है, लेकिन इस दौरान मां बनने वाली महिलाओं के शारीरिक और मानसिक रूप में बदलाव होते हैं। उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। ऐसी ही एक शारीरिक समस्या है, पैरों में दर्द और सूजन। हेल्थ एडवाइसजर गायनेकोलॉजिस्ट (Health Advisory Gynecologist) डॉ रीना मालपानी बताती हैं कि आप अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करते हुए रेग्युलर एक्सरसाइज-वर्कआउट (Work Out) की मदद से इस तरह की प्रॉब्लम से राहत पा सकती हैं। जानें उनके द्वारा दी गई खास टिप्स।
एक ही पोजिशन में ना रहें
गर्भवती महिलाओं के लिए एक स्थान पर लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना सही नहीं होता है। लगातार खड़े रहने से पैरों में दर्द, सूजन हो सकती है। इसलिए अगर खड़े होकर कोई काम करना है तो कुछ अंतराल पर मूवमेंट करती रहें। इसी तरह लंबे समय तक बैठे रहना भी नुकसानदायक है। बैठते समय भी आलती-पालथी मारकर बैठना या कुर्सी से पैरों को लटका कर रखना ठीक नहीं है। बैठने के बीच-बीच में कुछ समय इधर-उधर टहलना या स्ट्रेचिंग करते रहना चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन (Blood Circulation) ठीक होगा और सूजन में भी कमी आएगी।
सोते हुए कंफर्ट का ध्यान रखें
प्रेगनेंट महिला को हमेशा कंफर्टेबल पोजिशन (Comfort Position) में लेटना चाहिए। पीठ के बल सोना भले ही आपको आरामदायक लगता हो लेकिन लेकिन गर्भावस्था में इस पोजिशन में सोना सही नहीं है। बेहतर होगा कि आप करवट लेकर लेटें। विशेष रूप से बाईं करवट लेकर सोना ज्यादा अच्छा होता है। इससे किडनी बेहतर तरीके से काम करेगी और शरीर से वेस्ट का उत्सर्जन ज्यादा आसानी से होगा। इससे आपके पैर और शरीर की सूजन में भी कमी आएगी।
करती रहें रेग्युलर वर्कआउट
प्रेगनेंसी पीरियड (Pregnancy Periods) में खुद को फिट रखना जरूरी है। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही रखने के लिए आपको डेली सुबह-शाम वॉक करना चाहिए। आप नजदीकी पार्क या फिर छत/टेरेस पर वॉक कर सकती हैं। शाम को खाने के बाद जरूर टहलें। इससे ना सिर्फ आपका वेट कंट्रोल (Weight Controller) होगा बल्कि आपका मूड भी अच्छा रहेगा। यह पैरों के सूजन को कम करने में भी लाभकारी है।
पर्याप्त पानी पिएं
स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी हर किसी को पीना चाहिए। प्रेगनेंट महिलाओं को भी दिन में 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है। इससे शरीर में सोडियम की अतिरिक्त मात्रा और अन्य विषाक्त पदार्थ मल-मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। इससे वॉटर रिटेंशन की समस्या कम होती है और पैरों के दर्द में भी कमी आती है।
नमक का सेवन कम करें
गर्भवती महिलाओं को नमक कम मात्रा में खाना चाहिए। इसके लिए साल्टी स्नैक्स के सेवन से बचें। इसके साथ ही अपने भोजन में ऊपर से नमक ना डालें और ना ही कार्बोनेटेड ड्रिंक (Carbohydrate Drink) का सेवन करें। ध्यान रखें कि नमक का सेवन बढ़ने से पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है।
सही फुटवियर पहनें
प्रेगनेंट महिलाओं को पैरों की सूजन से बचने के लिए अपने फुटवियर का भी ध्यान रखना चाहिए। आप कंप्रेशन सॉक्स ट्राय कर सकती हैं। यह पैरों की स्वेलिंग नियंत्रित करने में मददगार साबित होते हैं। दरअसल, कंप्रेशन सॉक्स पैरों के निचले हिस्से में ब्लड क्लॉट नहीं बनने देता, वेरीकोस वेंस के दर्द को कम करता है और लैक्टिक एसिड क्लियर करता है। इसके साथ ही मसल्स मंब में होने वाले दर्द में भी आराम देता है, स्वेलिंग कम करता है और ब्लड सर्कुलेशन ठीक रखता है। जहां तक फुटवियर सेलेक्शन की बात है, तो प्रेगनेंसी के दौरान हाई हील वाली सैंडल बिल्कुल नहीं पहनने चाहिए। सामान्य चप्पलें ही ठीक होती हैं। समस्या हो तो ऑर्थोटिक शूज पहन सकती हैं। इन्हें पहनने से पैर और पीठ के दर्द में भी आराम मिलेगा। घर में आप गूफी सॉफ्ट स्लिपर्स पहन सकती हैं।