खजुराहों : मध्य प्रदेश के खजुराहों को कल पीएम मोदी केन बेतवा लिंक परियोजना की सौगात देने जा रहे है । जिसको लेकर तैयारी लगभग पूरी हो गई। पीएम मोदी के आगमन के चलते चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए है। वही केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने तैयारियों का जायजा लेते हुए कांग्रेस पर तंज कस्ते हुए कहा कि 10 साल के लिए कांग्रेस की यूपीए सरकार ने योजना पर रोक लगा दिया था। जिसकी वजह से बुंदेलखंड सूखे की मार से ग्रसित रहा।
कांग्रेस की यूपीए सरकार ने योजना पर 10 साल के लिए लगाई रोक
केन बेतवा लिंक परियोजना के कार्यक्रम स्थल का जायजा के दौरान मीडिया कर्मियों से चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी के द्वारा नदियों को जोड़ने की योजना बनाई गई थी, उसको 10 साल के लिए यूपीए की सरकार आई उसको रोक दिया था। 2014 में जब पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो पूर्व पीएम स्व. अटल बिहारी बाजपेयी की जितनी भी योजनाएँ थी, जिनको कांग्रेस की यूपीए सरकार ने बंद कर दिया गया था उनको पीएम मोदी ने आगे बढ़ाने का संकल्प लिया थी, आज उस संकल्प का शिलान्यास होने जा रहा है। जिससे समूचे बुंदेलखंड में पीने के पानी के साथ - साथ सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार होगा, जिसको लेकर बुंदेलखंड के लोगों में खासा उत्साह भी है, केन बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के लिए एक भागीरथी योजना साबित होने जा रही है।
परियोजना के लिए 44 हज़ार 605 करोड़ की राशि जारी
बता दें कि पीएम मोदी पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी की 100 वीं जयंती पर बुंदेलखंड को सौगात देने जा रह है। बुंदेलखंड को नदियों को जोड़ने वाली 44हज़ार 605 करोड़ की केन बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला रखने के लिए कल सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खजुराहो पहुंचेंगे। इसके साथ ही सीएम मोहन यादव भी 24 दिसंबर की रात खजुराहो पहुंचेंगे और कार्यक्रम स्थल का जायजा लेंगे।
2030 तक योजना को पूरा करने का रखा गया लक्ष्य
भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन बेतवा लिंक परियोजना अंतर्गत बनने वाले ढोड़न बांध की आधारशिला कल रखी जाएगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 44 हज़ार 605 करोड़ की राशि जारी की गई है। इस परियोजना के लिए उत्तर प्रदेश में 21 किमी के लिंक चैनल का निर्माण होना है, जिसके लिए 271 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित होगी। वर्तमान में केन नहर प्रणाली से बांदा में 87 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित है। यह भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना है। जिसे 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।