PM Modi Parliament Speech: शनिवार को संसद के शीतकालीन सत्र के 15वें दिन पीएम मोदी ने लोकसभा में भाषण दिया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि हम सभी के लिए यह बेहद गौरव का पल है। 75 साल की यादगार और गौरवपूर्ण की यात्रा के मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दूर दृष्टि है। संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने पर एक उत्सव मनाने का पल है। मेरे लिए यह खुशी की बात है कि संसद भी इस खुशी के पल में शामिल होंगे। भाषण खत्म होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सामने 11 संकल्प रखे।
पीएम मोदी ने 11 संकल्प देश के सामने रखे
पहला संकल्पः सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें।
दूसरा संकल्पः सबका साथ, सबका विकास हो।
तीसरा संकल्प: भ्रष्टाचार के प्रती जीरो टॉलरेंस हो।
चौथा संकल्प: देश के कानून पर गर्व होना चाहिए।
पांचवां संकल्प: गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिले और देश के विरासत पर गर्व हो।
छठा संकल्प: देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले।
सातवां संकल्प: संविधान का सम्मान हो और राजनीतिक स्वार्थ के लिए उसे हथियार न बनाया जाए।
आठवां संकल्प: आरक्षण जारी रहे, लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण न दिया जाए।
नौवां संकल्प: महिलाओं के नेतृत्व में विकास को प्राथमिकता दी जाए।
दसवां संकल्प: राज्य के विकास के माध्यम से राष्ट्र के विकास को सुनिश्चित किया जाए।
ग्यारहवां संकल्प: "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के लक्ष्य को सर्वोपरि रखा जाए।
इमरजेंसी में संविधान का घोटा गला
पीएम माेदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान कहा कि इमरजेंसी के दौरान देश के संविधान को नोंचा गया। लोकतंत्र का गला घोटा गया। देश को जेलखाना में बदल दिया गया। कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मैं इसलिए एक परिवार का उल्लेख करता हूं क्योंकि 75 साल के इतिहास में 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है। इस परिवार की कुनीति निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है।
भारत के नागरिक अभिनंदन के हकदार
पीएम मोदी ने कहा कि जिस समय देश आजाद हुआ, उस समय भारत के लिए जो भी संभावनाएं जाहिर की गई थी, उन सभी संभावनाओं को निरस्त करते हुए भारत का संविधान हमें यहां तक ले लाया है। इस उपलब्धि के लिए मैं संविधान निर्माताओं के साथ देश के कोटि कोटि नागरिकों को नमन करता हूं जिन्होंने इस भावनाओं को जीकर दिखाया है। संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उस पर भारत के नागरिक हर कसौटी पर खड़े उतरे हैं, इसलिए वह अभिनंदन के अधिकारी है।
हमारा लोकतांत्रिक अतीत काफी पुराना है
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के निर्माता यह नहीं मानते थे कि भारत में लोकतंत्र 1947 से आया है। वह हमारे देशों की हजारों साल की परंपराओं का भान था। भारत का लोकतंत्र और भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है। तभी तो भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के तौर पर जाना जाता है। हम सिर्फ एक विशाल लोकतंत्र नहीं बल्कि लोकतंत्र की जननी है।
पीएम मोदी ने संविधान निर्माताओं को कोट किया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में संविधान निर्माताओं को कोट करते हुए कहा कि राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने संविधान सभा की ऐतिहासिकता को उजागर करते हुए कहा था कि सदियों बाद ऐसी सभा का आयोजन हुआ है। यह हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है, जब देश स्वतंत्र था और विद्वान देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते थे।
डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था कि भारत के लिए गणतंत्र कोई नया विचार नहीं है। यह हमारी सभ्यता की शुरुआत से ही हमारे समाज का हिस्सा रहा है। बाबा साहब अंबेडकर ने भी भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे देश में पहले भी कई गणराज्य हुआ करते थे।
संविधान निर्माण में महिलाओं का योगदान
संविधान निर्माण में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अलग-अलग क्षेत्रों से आईं महिलाओं ने संविधान सभा की चर्चाओं को समृद्ध किया। उनके विचारों और सुझावों ने संविधान निर्माण में गहरा प्रभाव डाला। भारत ने महिलाओं को शुरुआत से ही मतदान का अधिकार देकर दुनिया के सामने मिसाल पेश की, जबकि कई देशों को इस दिशा में दशकों का समय लगा।
नारी शक्ति का बढ़ता प्रभाव
जी-20 की बैठक में नारी शक्ति के महत्व को 'विमन लीड डेवलपमेंट' की अवधारणा के जरिए सामने रखा गया। इसके साथ ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिए लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गई। आज महिलाएं देश की हर बड़ी योजना के केंद्र में हैं। राष्ट्रपति पद पर आदिवासी महिला का होना संविधान की भावना को दर्शाता है।