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विज्ञान का कमाल, अब मरे हुए पूर्वजो से कर सकेंगे बात

विज्ञान का कमाल, अब मरे हुए पूर्वजो से कर सकेंगे बात

अगर आपके परिवार के किसी सदस्य का निधन हो गया है और आप उनसे कुछ जानना चाहते थे। या फिर आपने अपने पूर्वजों को नहीं देखा, उनसे बात नहीं की, आप उनसे बात करना चाहते है तो ऐसा अब हो सकता है। जी हां आप सोच रहे होंगे मरने वाले इंसान से कैसे बात हो सकती है। तो आपको बता दें की ऐसा हो सकता है। और संभव किया है आज के युग के विज्ञान ने। 

दरअसल, मरे हुए इंसान से ​बात करना संभव नही है, लेकिन विज्ञान ने इसे भी अब संभव बना दिया है। अब आप वीडियो कॉल के माध्यम से अपने पूर्वजों से बात कर सकते है। हालांकि इसकी कल्पना करना आज के समय में संभव नहीं है। द कन्वरसेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अब विज्ञान के बल पर पूर्वजों से बात की जा सकती है। उनका हालचाल जाना जा सकता है। इतन ही नहीं आप जो सवाल करेंगे उसका पूर्वज जवाब भी देंगे और आशीर्वाद भी देंगे। 

एआई से होगा संभव

ये संभव आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) से हो सकेगा। एआई और अन्य तकनीकियों से अब मरे हुए इंसान से भी बात हो सकेगी। ये सुनने में मजाक लगेगा, लेकिन ये जोखिम भरा भी हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो ये आज के युग का सबसे बड़ा चमत्कार होगा। वैज्ञानिकों ने भी दावा किया है कि ये संभव है। यह डरावना हो सकता है, लेकिन ऐसा संभव है। 

ऐसे होगी पूर्वजों से बात

दरअसल, रिपोर्ट के अनुसार आप एक डिजिटल पिता के साथ बात करेंगे। इस दौरान आप ऐसे तथ्यों पर बात करेंगे जो आपको कभी पता नहीं होंगी। आप अपने आप को भावनात्मक रोलरकोस्टर कर पाएंगे। यह डिजिटल आफ्टरलाइफ़ उद्योग की वजह से संभव हो गया है। इंडिया टीवी की बेवसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार जो तेजी से विकसित हो रहा है। कई कंपनियां मृत व्यक्तियों के डिजिटल पदचिह्नों के आधार पर उनका आभासी पुनर्निर्माण करने का वादा करती हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) चैटबॉट और वर्चुअल अवतार से लेकर होलोग्राम तक, यह तकनीक आराम और व्यवधान का एक अजीब मिश्रण प्रदान करती है। यह हमें गहरे व्यक्तिगत अनुभवों में खींच सकता है जो अतीत और वर्तमान, स्मृति और वास्तविकता के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देता है।

पूर्वजों का आएगा संदेश

आपको यह बात सबसे ज्यादा हैरान कर देगी की मरने वाला व्यक्ति आपके मोबाईल पर संदेश भी भेजेगा। हैनसन रोबोटिक्स ने रोबोटिक बस्ट बनाए हैं जो मृतक की यादों और व्यक्तित्व लक्षणों का उपयोग करके लोगों के साथ संवाद करते हैं। आपको बता दें कि यह तकनीकि जितनी सुविधाजनक है उतनी खतरनाक भी है। क्योंकि यह वास्तविकता और अनुकरण के बीच की रेखा को धुंधला कर सकता है। भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संकट भी पैदा कर सकता है। 


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