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नवरात्रि का नौवां दिन: माँ सिद्धिदात्री की आराधना करने से होगी मोक्ष और सिद्धियों की प्राप्ति, समर्पण का बढ़ेगा भाव...  

नवरात्रि का नौवां दिन: माँ सिद्धिदात्री की आराधना करने से होगी मोक्ष और सिद्धियों की प्राप्ति, समर्पण का बढ़ेगा भाव...  

Sharadiya Navratri : नवरात्रि के नौवें मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है. माँ सिद्धिदात्री को मोक्ष एवं सिद्धियों की दात्री कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार माता के इस अवतार को शक्तियों की देवी कहा जाता है. इस दिन सभी भक्त माँ सिद्धिदात्री की पूजा कर नौ कन्याओं का पूजन करते है और उन्हें भोजन कराते हैं. भक्तों के द्वारा ऐसा करने से माँ दुर्गा की कृपा सदैव की उन पर बनी रहती है. माँ सिद्धिदात्री की आराधना करने के साथ ही लोग विशेष रूप से कन्याओं की पूजा की जाती है. 

पूजा विधि और महत्व : सबसे पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर कुशा या फूलों से मंडल बनाएं. इसके बाद माँ सिद्धिदात्री की पूजा शुरू करें. एक कलश में जल भरकर, उस पर सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें और उसे पूजा स्थान पर रखें. एक दीया जलाएं. माँ को फल ,मिठाई औत्र फूल अर्पित करें. नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री के पूजा का विशेष महत्व माना जाती है. इसके साथ ही माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री भी कहा जाता है. वहीं उन्हें शक्ति, ज्ञान का भी प्रतीक माना जाता है. माता की पूजा से भक्त को भौतिक और आत्मिक दोनों प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं. पूजा के बाद माँ सिद्धिदात्री के मंत्रों का विशेष रूप से जाप करें.

मुक्ति और मोक्ष का मार्ग : 

माँ सिद्धिदात्री मोक्ष की देवी हैं. उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन के संकटकाल में भी सही मार्ग चुनता है और अंततः मुक्ति प्राप्त करता है. शक्ति और साहस: इस दिन की पूजा से व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और बल मिलता है. कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है. नौ दिन के उपवास का फल: नवरात्रि के नौ दिन के उपवास और साधना का फल इस दिन माँ सिद्धिदात्री की कृपा के रूप में प्राप्त होता है.

 परिवार कल्याण और समर्पण का प्रतिक:

माँ सिद्धिदात्री की पूजा से न केवल व्यक्ति की बल्कि उसके परिवार और समाज की भी भलाई होती है. इस दिन भक्त अपने संकल्पों और मनोकामनाओं को लेकर माँ के समक्ष प्रस्तुत करते हैं, जिससे भक्ति और समर्पण की भावना बढ़ती है. माँ सिद्धिदात्री की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है.

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप :
 
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप सौम्य और मोहक है. उनका चेहरा पूर्णिमा की चाँद की तरह चमकता है. माँ के चार हाथ होते हैं। प्रत्येक हाथ में एक विशेष वस्तु होती है: माँ सिद्धिदात्री की सवारी नंदी (शिव का बैल) होती है, जो शक्ति और भक्ति का प्रतीक है.माँ ने अत्यंत सुंदर आभूषण धारण किए होते हैं, जो उनके दिव्य स्वरूप को और भी उजागर करते हैं. माँ अक्सर पद्मासन या सुखासन में बैठी दिखाई जाती हैं, जो ध्यान और शांति का प्रतीक है. माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप समस्त शक्तियों का संयोग है, और उनकी पूजा से भक्तों को शक्ति, ज्ञान और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।.

कमल का फूल: भक्ति और समर्पण का प्रतीक।
शंख: आध्यात्मिक जागृति और विजय का प्रतीक।
गदा: शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक।
दर्पण: आत्म-ज्ञान और स्व-निरीक्षण का प्रतीक।
 
इन मंत्रो का करेंगे जाप :

ॐ सिद्धिदात्री नमः।
ॐ ह्लीं सिद्धिदात्री महामाया नमः।
ॐ महा देवी चक्र विद्या मम सिद्धिं कुरु स्वाहा।


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