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MP News : बोले यादव -अब पानी की एक एक बूंद का मप्र और राजस्थान में उपयोग होगा

MP News : बोले यादव -अब पानी की एक एक बूंद का मप्र और राजस्थान में उपयोग होगा

भोपाल। पानी की एक-एक बूंद का अब मध्यप्रदेश और राजस्थान में उपयोग होने वाला है। दोनो राज्यों की सीमा के 13-13 जिलों को पेयजल और किसानों को खेती के लिए भरपूर पानी मिलेगा। राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में सीएम डॉ. मोहन यादव ने यह बात रविवार को कही। उन्होने राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के साथ संयुक्त रूप से पार्वती-काली सिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना के कार्यान्वयन की आधारशिला रखी। 

सीएम ने कहा कि छोटे-छोटे इश्यू को लेकर दोनों राज्य लगभग 20 साल से बिना बात के उलझे रहे। यह हम मानते हैं कि राज्यों के अपने कुछ हित होते हैं, लेकिन देश हित से बड़ा कोई हित नहीं हो सकता है।  प्रधानमंत्री की यह सोच रही है कि राज्य अपने मसलों को सुलझाएं। जब हमारी सरकार बनी तो 28 जनवरी को राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा से मिला। हमने एक विषय निकला कि तीनों नदियां चंबल, काली सिंध और पार्वती की जलधारा का दोनों राज्यों बेहतर उपयोग कर सकें। 

वहीं जो समस्याएं हैं उनका समाधान कर लेंगे। मध्य प्रदेश-राजस्थान तो भाई-भाई जैसे हैं। हम तीन दिन पहले केंद्र में जल शक्ति मंत्री के साथ बैठे थे। उन्होंने कहा कि आप दोनो मिलकर अपने स्तर पर तय कर लें। साथ ही आधारशिला कार्यक्रम में राजस्थान के सीएम भजनलाल बोले कि दोनों राज्यों के बीच धार्मिक स्थलों को लेकर भी अपार संभावनाए हैं। खाटूश्याम से महाकाल तक कॉरिडोर बनाने का प्रयास होना चाहिए। इसके लिए हम अपने यहां महाराणा प्रताप सर्किट को मजबूत करते हुए काम करेंगे।

रणथंभौर के टाइगर की सुरक्षा हम करेंगे

सीएम डॉ. यादव बोले कि कई विषयों को लेकर दोनों राज्यों को साथ साथ चलना है। मान लो रणथंभौर का टाइगर अगर घूमते हुए हमारे यहां आ जाता है तो हम ढूंढते हैं कि ये कहां से आ गया? ऐसे ही चीते की बात करें तो हमारा चीता आपके यहां पहुंच जाता है। हमारे चीते की चिंता आप करो, आपके टाइगर की सुरक्षा हम करेंगे। दोनो राज्यों की सीमाओं में वन्यजीवों के आने जाने का रास्ता विकसित करेंगे।

शर्मा ने कहा दोनों राज्य मिलकर इस परियोजना को आगे बढ़ाएंगे

परियोजना की आधारशिला रखने के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि एमपी-राजस्थान दोनों ऐसे प्रदेश हैं जिनके पास जमीन है लेकिन सिंचाई के साधन कम थे। ये योजना ऐसी है कि दोनों राज्य मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे। मध्य प्रदेश और राजस्थान की यह योजना इतनी बड़ी है कि राजस्थान के लगभग 13 जिले इसमें आ रहे हैं, और करीब मध्य प्रदेश के भी इतने ही जिले इसमें आते हैं। ऐसे चंबल निकलती है वह दोनों क्षेत्र राजस्थान और मध्य प्रदेश के आसपास है। चंबल घड़ियाल अभयारण्य को लेकर दोनों क्षेत्रों में प्रयास किया जा सकता है। इसी तरह भगवान कृष्ण राजस्थान से होते हुए मध्यप्रदेश के उज्जैन में गुरु आश्रम में पढ़ने आए थे। जैसे भगवान राम श्रीलंका गए थे तो उनका पाथ-वे बना। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के भी राजस्थान होते हुए उज्जैन जाने का पाथ-वे बनाना चाहिए।

औद्योगिक रूप से दोनों राज्यों में बड़ी संभावनाएं: दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि ई-व्हीकल में एमपी-राजस्थान बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं। रोजगार की दृष्टि से भी साथ साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। मंदसौर-नीमच अफीम उत्पादक क्षेत्र है। डोडा चूरा की नीलामी नहीं हो रही है। इसका केंद्र सरकार के सहयोग से समाधान निकालेंगे। दोनों राज्यों के लोग अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड का एक-दूसरे के राज्य में कैसे उपयोग कर सकें, इसका रास्ता निकालेंगे।


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