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MP News : टैक्सटाइल मंत्रालय ने की बैठक ‘बीआईएस स्टैंडर्ड’ होगा फॉलो

MP News : टैक्सटाइल मंत्रालय ने की बैठक ‘बीआईएस स्टैंडर्ड’ होगा फॉलो

भोपाल। ट्रेन में एसी कोच में सफर के दौरान अक्सर यात्री गंदे सफेद चादर और तकिए मिलने की शिकायत करते हुए नजर आते हैं। कई बार राजधानी समेत कई प्रीमियम ट्रेनों में भी इसकी क्वालिटी को लेकर रेलवे के पास शिकायत पहुंची है, लेकिन अब बहुत जल्द यात्रियों को इन सभी से छुटकारा मिलने जा रहा है। रेलवे यात्रियों के  लिए ट्रेन का सफर सुविधाजनक बनाने के लिए लिनन, बेड रोल की क्वालिटी को सुधारने जा रहा है।

ट्रेन में मिलने वाले लिनन/बेड रोल की क्वालिटी सुधारने को लेकर हाल ही में टैक्सटाइल मंत्रालय ने सभी स्टेक होल्डर्स के साथ एक बैठक की है। बैठक में टैक्सटाइल कमेटी, हैंडलूम कमिश्नर, रेलवे, खादी और बीआईएस के साथ वेंडर्स भी शामिल थे।

इस बैठक मुद्दा उठा कि ट्रेन में मिलने वाले सफेद बेडरोल अक्सर कुछ ही धुलाई के बाद बदरंग हो जाते हैं और हर धुलाई के बाद उनका रंग उतरता जाता है। अफसरों का मनाना है कि चादर, टॉवर और कंबल की उम्र को 9 महीने से लेकर 1 साल तक बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि रेलवे का खर्च कम हो सके। अफसरों ने यह भी कहा कि कंबल में बहुत ज्यादा लिंट (रोआं) होने से पैसेंजर्स को कई तरह की परेशानी और एलर्जी होती है।

इन प्रोडक्ट्स में ब्यूरो ऑफ इंिडयन स्टैंडर्ड (बीआईएस) के स्टैंडर्ड को फॉलो नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इनकी क्वालिटी को सुधारने की दिशा में काम किया जा रहा है ताकि 100 धुलाई तक भी फ्रैबिक खराब न हों। चादरों को धोने के लिए मेकेनाइज्ड लांड्री का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें बड़े-बड़े बॉयलर लगे होते हैं। इसमें स्टीम पैदा 121 डिग्री सेल्सियस पर चादरों को धोते हैं। इस तापमान पर किसी चीज को अगर 30 मिनट रखते हैं तो ये कीटाणु मुक्त हो जाते हैं। ऐसे में सफेद रंग के चादर भी इंडियन रेलवे को धोने में आसान लगते हैं न कि रंगीन चादर।


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