भोपाल। प्रदेश के स्कूली विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के लिए काम की खबर है। स्कूल शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक सत्र को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। इसके लिए प्रवेश प्रक्रिया 20 मार्च से शुरू होगी, जो 31 मार्च तक चलेगी। दरअसल, लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी संभागीय संयुक्त संचालकों, जिला शिक्षा अधिकारियों और हायर सेकंडरी व हाईस्कूल के प्राचार्यों को शैक्षणिक सत्र को लेकर निर्देश जारी किए हैं।
इसमें कहा गया है कि परीक्षाएं खत्म होने के बाद कक्षा 8 से 11 तक के रिजल्ट को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को अस्थाई रूप से प्रवेश दिया जएगा। विद्यालयों में एडमिशन की प्रोसेस 20 मार्च से 31 मार्च के बीच पूरी कर ली जाए, ताकि एक अप्रैल से कक्षाएं शुरू की जा सकें। 4 अप्रैल को शाला प्रबंधन और विकास समिति की बैठक का आयोजन किया जाए और इसमें स्कूल के पूर्व छात्रों को भी आमंत्रित किया जाए। इनके बीच अध्ययन अध्यापन की प्रस्तावित कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस दिन सांस्कृतिक एवं खेलकूद एक्टिविटीज के आयोजन और इसकी जानकारी प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए गए हैं।
विद्यार्थियों-अभिभावकों से संपर्क करेंगे शिक्षक
विद्यार्थियों को दोबारा प्रवेश के लिए संदेश देने का काम स्कूल के शिक्षकों को करना होगा। स्कूल पहुंचने वाले छात्रों से कराई जाने वाली एक्टिविटीज का निर्धारण भी स्कूल शिक्षा विभाग ने कर दिया है। इसमें पढ़ाई के साथ प्रार्थना सभा पर भी फोकस किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रगान, मध्यप्रदेश गान, महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि की जानकारी देने के साथ उस दिन का कैलेंडर और पंचांग की जानकारी देना भी अनिवार्य होगा।
मान्यता नियमों में बदलाव के विरोध में एकजुट हुए निजी स्कूल संचालक
प्रदेश के विभिन्न निजी स्कूल संगठनों ने 30 जनवरी को एक दिवसीय बंद का आह्वान किया है। निजी स्कूल संगठनों का कहना है कि वर्तमान में मध्यप्रदेश शासन की नई मान्यता नीति उन छोटे-छोटे निजी स्कूलों के अस्तित्व को संकट में डाल रही है, जो सीमित संसाधनों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास करते हैं। यदि यह नीति लागू होती है, तो बहुत से छोटे स्कूल बंद होने की कगार पर आ जाएंगे। निजी स्कूलों ने अभिभाावकों से भी समर्थन की अपील करते हुए कहा है कि 30 जनवरी को अपने बच्चों को स्कूल न भेजें और इस बंद को सफल बनाने में हमारी मदद करें। 30 जनवरी को सब एकजुट होकर शासन को यह संदेश दें कि शिक्षा व्यवस्था में कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए, जो हमारे बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल दे।