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MP News: अंग्रेजों के बनाए कानून से भारतीय न्याय प्रणाली हुई मुक्त

MP News: अंग्रेजों के बनाए कानून से भारतीय न्याय प्रणाली हुई मुक्त

भोपाल। 1 जुलाई यानि आज से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)   और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो चुका है। नए कानूनों के लागू होने को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस भी पूरी तरह तैयार है। रविवार शाम पुलिस मुख्यालय में प्रेस कॉंफ्रेंस के माध्यम से  एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जयदीप प्रसाद ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये कानून दंड नहीं, बल्कि न्याय केंद्रित है। इन तीनों कानूनों का उद्देश्य अपराधों और उनकी सजाओं को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलना है। नए कानून लागू होने से न्याय प्रणाली आईपीसी के तहत अंग्रेजों द्वारा बनाए गए औपनिवेशिक कानूनों से मुक्त हो चुकी है।   

नए कानूनों में नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराध 

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं।  इन प्रावधानों के अनुसार जहां बच्चों से अपराध करवाना व उन्हें आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा, वहीं नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल की जाएगी। नाबालिग से गैंगरेप किए जाने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है। नए कानूनों के अनुसार पीड़ित के अभिभावक की उपस्थिति में ही बयान दर्ज किया जा सकेगा। इसी प्रकार नए कानूनों में महिला अपराधों के संबंध में अत्यंत सख्ती बरती गई है। इसके तहत महिला से गैंगरेप में 20 साल की सजा और आजीवन कारावास, यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना भी अब अपराध होगा। साथ ही पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में ही बयान दर्ज करने का भी प्रावधान है।  

कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य 

अब 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय देना होगा। वहीं सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत मामलों की तय समय में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है। इसी प्रकार छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। नए कानूनों में पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम रखी जाने व एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत का प्रावधान है। साथ ही किसी भी शिकायतकर्ता को 90 दिन में जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा और गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी।

जीरों पर एफआईआर 

ई-एफआईआर के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे। नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया है। फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु ले सकता है।


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