Maharani Laxmibai School History: आजादी के पहले से अस्तित्व में रहे बस्तर के इस स्कूल का इतिहास जानकार आप हैरान रह जाएंगे इस रोचक तथ्य से आज आपको अवगत कराते है। शहर का सबसे पुराना हाई स्कूल जिसका निर्माण वर्ष 1925 -1926 में अंग्रेजों के समयकाल में हुआ था। पहले इसे मिडिल स्कूल का दर्जा प्राप्त था। तत्कालीन ब्रिटिश चीफ ऐडमिनिस्ट्रेटर W.V. ग्रीगसन उस समय यही पर थे जिन्होंने इस स्कूल को आगे चलाने का काम किया और इसी के साथ स्कूल का नाम भी ग्रीगसन हाई स्कूल कहा जाने लगा। इस समय स्कूल में ब्रिटिश काल के अंग्रेज़ अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ भारतीय अधिकारीयों के परिवार के लोग भी यहाँ शिक्षा लेते थे। स्थानीय लोगों को स्कूल की देख रेख और साफ सफाई का जिम्मा था।
Maharani Laxmibai School History : शुरुआत दौर में यह स्कूल सदर बाजार के समीप था जहां वर्तमान में महारानी लक्ष्मीबाई शाला है वहाँ संचालित किया जाता था। यह स्कूल का इतिहास बहुत ही पुराना और रोचक है अगर आप छत्तीसगढ़ से हैं तो आपको बस्तर के इस स्कूल के समयकाल को जानकार अच्छा लगेगा। आज़ादी के बाद इसे बस्तर हाई स्कूल कहा जाने लगा। उस वक़्त हिंदी के साथ इंग्लिश और संस्कृत विषयों पर विशेष महत्व दिया जाता था । ख़ास बात यह है कि संस्कृत के शब्दों को इंग्लिश में समझाया जाता था।
वर्तमान में बन गया है गाँधी मैदान :
Maharani Laxmibai School History: हर साल वार्षिकोत्सव होता था जिसमें अंग्रेजी नाटक , हिंदी नाटक ,गायन और मनोरंजक कार्यक्रम होते थे। स्कूल में विभिन्न खेल कूद का भी आयोजन पास के बड़े से खेल मैदान में किया जाता था। वर्तमान में इस मैदान को हाता मैदान /गांधी मैदान दोनों के नाम से जाना जाता है समय के साथ मैदान में सुविधाएं बढ़ी है। 1936 में एक बार अंग्रेज अधिकारियों और भारतीय अधिकारियों के मध्य क्रिकेट मैच खेला गया था जिसे देखने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। उस वक़्त शहर की आबादी महज लगभग 10 हज़ार रही होगी। प्राचीन समय में लोग खेलों के महत्त्व और खासकर क्रिकेट से भारतीय अनजान थे लेकिन ब्रिटिश और भारतियों द्वारा जब क्रिकेट मैच खेला गया तो लोगों में खेल को जानने की उत्सुकता थी।
Maharani Laxmibai School History: 18 जनवरी 1938 को ली गयी यह ऐतिहासिक तस्वीर जब न कोई मोबाईल फोन, इंटरनेट, और डिजिटल कैमरा के साथ कलर प्रिंट भी नहीं आता था तब यह तस्वीर लिया गया था। तस्वीर में तत्कालीन प्रिंसिपल मधुसूदन नारायण देव, स्टेट शिक्षा मंत्री निरंजन सिंह दीवान और ऊपर छत में खड़े दो छात्र भास्कर मिश्र, रणसिंह हैं।